फतेहपुर: राहुल गांधी के खिलाफ पोस्टर, हरिओम के परिजनों ने कहा- 'कोई राजनीति न करे, हम योगी सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट'

राहुल गांधी की फतेहपुर यात्रा से पहले, वहां विरोध के पर्चे लगाए गए, जिन पर 'दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ' लिखा था।
फतेहपुर : कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर, रायबरेली मॉब लिंचिंग के शिकार हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मुलाकात करने पहुंचे। हरिओम की 2 अक्टूबर को रायबरेली में चोर समझकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस मुलाकात को लेकर पहले काफी सियासी ड्रामा हुआ, क्योंकि परिवार ने राहुल गांधी से मिलने से साफ इनकार कर दिया था। परिवार का कहना था कि वे सरकार की कार्रवाई और आर्थिक मदद से संतुष्ट हैं और किसी तरह की राजनीति नहीं चाहते। हालांकि, बाद में प्रशासन की अनुमति मिलने पर राहुल गांधी लगभग 30 मिनट तक परिवार के सदस्यों, जिसमें हरिओम के माता-पिता, पत्नी और अन्य रिश्तेदार शामिल थे, से मिले और उन्हें सांत्वना दी।
इस दौरान फतेहपुर में राहुल के विरोध में 'दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ' के पर्चे भी लगाए गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रशासन पर मुलाकात रोकने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी भी की। इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीति गरमाई हुई है, जहां विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है।
परिवार का पहले इनकार और फिर मुलाकात
रायबरेली में मॉब लिंचिंग में मारे गए दलित युवक हरिओम वाल्मीकि के परिवार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने से साफ इनकार कर दिया था। राहुल गांधी शुक्रवार को जब फतेहपुर स्थित उनके घर पहुंचे, तो पहले उन्हें रोका गया। हरिओम के छोटे भाई शिवम वाल्मीकि ने एक बयान जारी कर कहा था कि वे सरकार से मिले मुआवजे और सरकारी नौकरी से संतुष्ट हैं। उनका कहना था कि वे किसी भी राजनीतिक दल के नेता से मिलकर राजनीति नहीं चाहते हैं। शिवम ने उल्लेख किया कि प्रदेश सरकार के दो कैबिनेट मंत्री उनके यहां आए थे और उन्होंने आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी दी है। परिवार के इस रुख के बाद राहुल गांधी की यात्रा को लेकर काफी तनाव और चर्चा का माहौल बन गया था। कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन पर मुलाकात रोकने का आरोप लगाया और मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी भी की। काफी देर तक घर के बाहर मौजूद रहने के बाद, प्रशासन की बातचीत और अनुमति के बाद राहुल गांधी को आखिरकार हरिओम के माता-पिता, पत्नी और अन्य रिश्तेदारों से मिलने दिया गया। इस दौरान उन्होंने परिवार से लगभग आधा घंटा बातचीत की और उन्हें सांत्वना दी।
मॉब लिंचिंग की घटना और सरकारी कार्रवाई
यह घटना 2 अक्टूबर को रायबरेली के ऊंचाहार इलाके में हुई थी। हरिओम वाल्मीकि अपने ससुराल नई बस्ती ऊंचाहार जा रहे थे, जब दांडेपुर जमुनापुर गांव के कुछ ग्रामीणों ने उन्हें चोर समझकर घेर लिया। ग्रामीणों के बीच कथित तौर पर यह अफवाह थी कि एक गिरोह ड्रोन से निगरानी कर घरों में डकैती कर रहा है। मानसिक रूप से कथित तौर पर अक्षम हरिओम अपनी पहचान सही से नहीं बता पाए, जिसके चलते भीड़ ने उन्हें बेरहमी से पीटा। वायरल हुए एक वीडियो में युवक को पीटते हुए देखा गया था। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसी रात 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और बाद में 4 अन्य गिरफ्तारिया हुईं, जिससे कुल 9 गिरफ्तारी हुई हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाने की बात कही है। लापरवाही बरतने पर पांच पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया था। हरिओम की पत्नी पिंकी वाल्मीकि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा था कि बाबा ही सिर्फ दलितों की रक्षा कर सकते हैं। सरकार ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दी है और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी गई है
सियासी विरोध और कांग्रेस का स्टैंड
हरिओम वाल्मीकि की हत्या के मामले ने उत्तर प्रदेश की सियासत में गरमाहट ला दी है। कांग्रेस, जो कि रायबरेली से सांसद होने के नाते राहुल गांधी का निर्वाचन क्षेत्र रहा है, इस घटना को लेकर बीजेपी सरकार पर लगातार हमलावर रही है। कांग्रेस ने घटना को लेकर कैंडल मार्च भी निकाला था और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे। हालांकि राहुल गांधी की फतेहपुर यात्रा से पहले, वहां विरोध के पर्चे लगाए गए, जिन पर 'दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ' लिखा था, जो स्पष्ट रूप से राजनीति न करने की मांग का संकेत था। इसके बावजूद राहुल गांधी ने परिवार से मिलकर अपनी पार्टी का समर्थन और सांत्वना व्यक्त की।
