SIR in UP: उत्तर प्रदेश मतदाता सूची से हट सकते हैं लगभग तीन करोड़ नाम! पढ़ें पूरी खबर

उत्तर प्रदेश मतदाता सूची से हट सकते हैं लगभग तीन करोड़ नाम! पढ़ें पूरी खबर
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चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदाता का नाम बिना उचित कारण और सुनवाई का अवसर दिए नहीं हटाया जाएगा।

यूपी की मतदाता सूची में SIR 2.0 अभियान के तहत शुद्धिकरण चल रहा है। 27 अक्तूबर 2025 तक दर्ज 15.44 करोड़ मतदाताओं में से, अनुमान है कि करीब तीन करोड़ तक नाम हट सकते हैं।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में एक बड़ा शुद्धिकरण अभियान चल रहा है, जिसके पूरा होने पर लगभग तीन करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना है।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य डुप्लीकेट, मृत, या निवास स्थान बदल चुके मतदाताओं की पहचान कर सूची को त्रुटिरहित बनाना है।

हालांकि, विपक्षी दलों ने इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने की आशंका जताते हुए 'मास डिसइन्फ्रेंचाइजमेंट' का आरोप लगाया है, जिसका चुनाव आयोग ने खंडन किया है। राज्य के शहरी और प्रवासी बहुल जिलों में नाम हटने की संभावना सबसे अधिक है।

अभियान का उद्देश्य और प्रक्रिया

यह शुद्धिकरण अभियान, जिसे एसआईआर 2.0 नाम दिया गया है, मतदाता सूची में लंबे समय से जमा हुई त्रुटियों और विसंगतियों को दूर करने के लिए चलाया जा रहा है।

इसके तहत बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं का भौतिक सत्यापन कर रहे हैं और प्रत्येक परिवार से फॉर्म भरवा रहे हैं।

अभियान का लक्ष्य ऐसे मतदाताओं की पहचान कर उन्हें हटाना है जो अब या तो मृत हो चुके हैं, दो अलग-अलग जगहों पर पंजीकृत हैं, या अपने मूल निवास स्थान से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं। इस प्रक्रिया से मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है ताकि आगामी चुनावों में केवल पात्र मतदाता ही मतदान कर सकें।

नाम हटने की मुख्य वजहें और संभावित संख्या

मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के पीछे मुख्य वजहें 'अनुपस्थित, स्थानांतरित और मृत' श्रेणी के मतदाता हैं। आयोग के अनुसार, लंबे समय से सूची में हुई बड़ी संख्या में प्रविष्टियां और त्रुटियां इस सुधार की मांग कर रही हैं।

हालांकि, तीन करोड़ नाम हटने का अनुमान विभिन्न राजनीतिक बयानों पर आधारित है, जबकि आयोग ने इन दावों को अतिशयोक्तिपूर्ण बताया है।

बावजूद इसके, कई जिलों से लाखों की संख्या में नाम हटाने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि सूची में बड़ी संख्या में परिवर्तन होना तय है।

इन जिलों में वोट कटने की सबसे ज्यादा संभावना

विशेषज्ञों और स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, शहरी और औद्योगिक जिलों में सबसे अधिक मतदाताओं के नाम कटने की आशंका है, जहा निवास स्थान परिवर्तन की दर अधिक होती है।

उदाहरण के लिए, कानपुर और प्रयागराज जैसे जिलों में, जहां बड़ी संख्या में मतदाता एसआईआर फॉर्म जमा नहीं करा पाए हैं, वहां शहरी क्षेत्रों के वोटरों को अधिक नोटिस भेजे गए हैं।

बांदा जैसे जिलों में भी एक लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने की बात सामने आई है। डुप्लीकेट नाम या पलायन कर चुके मतदाताओं की अधिक संख्या वाले जिलों में अंतिम सूची में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

मतदाताओं को नाम बचाने का मिला अवसर

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदाता का नाम बिना उचित कारण और सुनवाई का अवसर दिए नहीं हटाया जाएगा। यदि किसी मतदाता का नाम ड्राफ्ट सूची से हटा दिया जाता है या वह एसआईआर फॉर्म नहीं भर पाया है, तो उसे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

मतदाता सूची के ड्राफ्ट प्रकाशन के बाद एक दावा और आपत्ति अवधि शुरू होगी, जिसके दौरान वे अपने नाम को शामिल करने या सूची में हुई त्रुटियों को ठीक करने के लिए संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपील/फॉर्म जमा कर सकते हैं।

बीएलओ को भी बचे हुए फॉर्म जमा कराने के लिए तीन बार घर-घर जाने का निर्देश दिया गया है।



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