बसपा का नया राजनीतिक दांव: मायावती ने भाईचारा कमेटियों' से ओबीसी वर्ग को लामबंद करने का दिया मन्त्र!

मायावती ने अब ओबीसी वर्ग को साधने का एक नया राजनीतिक दांव है।
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान अपनी भविष्य की राजनीतिक रणनीति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने साफ तौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से पार्टी को मज़बूत करने के लिए सहयोग मांगा है।
मायावती ने कहा कि बसपा ही एकमात्र सच्ची 'बहुजन' विचारधारा वाली पार्टी है जो दलितों, आदिवासियों, और पिछड़े वर्गों के हितों की सच्ची संरक्षक है। हाल के चुनावों में बसपा के जनाधार में आई कमी को देखते हुए, मायावती का यह प्रयास दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ के पुराने फॉर्मूले से हटकर, अब ओबीसी वर्ग को साधने का एक नया राजनीतिक दांव है।
उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 'भाईचारा कमेटियों' के माध्यम से पिछड़े समाज के बीच अपनी पैठ बढ़ाए और उन्हें यह विश्वास दिलाए कि उनके आर्थिक और सामाजिक न्याय के अधिकार केवल बसपा के सत्ता में आने पर ही सुरक्षित रह सकते हैं।
सवर्ण वर्गों की राजनीतिक मज़बूती और दलितों की चिंता
बसपा सुप्रीमो ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि सवर्ण समाज राजनीतिक रूप से अत्यधिक शक्तिशाली और संगठित है। उन्होंने कहा कि देश में अभी भी शासन और प्रशासन के शीर्ष पदों पर इन वर्गों का दबदबा कायम है, जिसके कारण बहुजन समाज आज भी अपने हक और हिस्सेदारी के लिए संघर्ष कर रहा है। मायावती ने भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ये सभी दल कमजोर सामाजिक तबकों के मुद्दों पर दोहरी राजनीति करते हैं और सत्ता में आने के बाद गरीबों, दलितों और पिछड़ों के हितों की अनदेखी करते हैं।
उन्होंने आगाह किया कि जब तक पिछड़ा वर्ग और दलित समाज पूरी तरह से एकजुट होकर राजनीतिक सत्ता की कुंजी अपने हाथ में नहीं लेता, तब तक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का समतावादी कल्याणकारी राज्य का सपना साकार नहीं हो सकता।
दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को नई ज़िम्मेदारी
पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए, मायावती ने पिछड़े वर्ग के नेताओं और अनुभवी पदाधिकारियों को विशेष ज़िम्मेदारियां सौंपी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आगामी चुनावों में पार्टी की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस तेज़ है। मायावती ने पिछड़े वर्ग से जुड़े नेताओं को ज़मीनी स्तर पर काम करने और उन्हें पार्टी की विचारधारा से जोड़ने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि युवा कार्यकर्ताओं को भी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए, ताकि पार्टी में नई ऊर्जा का संचार हो सके। उनका मानना है कि संगठन की एकजुटता और विस्तार ही बसपा की वापसी का एकमात्र रास्ता है।
