वाराणसी: भारत-मॉरीशस संबंधों में आध्यात्मिक गहराई, PM डॉ रामगुलाम ने की गंगा आरती

वाराणसी: गंगा आरती में शामिल हुए प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम।
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वाराणसी: गंगा आरती में शामिल हुए प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम।

वाराणसी में गंगा आरती के आध्यात्मिक अनुभव ने भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक बंधन को किया प्रगाढ़। पीएम मोदी से डॉ रामगुलाम की महत्वपूर्ण मुलाकात।

वाराणसी। पवित्र गंगा तट पर आध्यात्मिकता और संस्कृति की छाया में एक ऐतिहासिक क्षण उस समय देखने को मिला, जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने गुरुवार (11 सितंबर 2025) को वाराणसी में गंगा आरती का दिव्य अनुभव लिया। यह दृश्य न केवल भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच सदियों पुराने सभ्यतागत रिश्तों को भी और गहराई देता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि पवित्र गंगा के साथ पवित्र जुड़ाव का अनुभव। भारत और मॉरीशस को यह जोड़ने वाले आस्था और परंपरा के शाश्वत बंधन का प्रतीक है।

आधिकारिक वार्ता और गर्मजोशी से स्वागत

इस आध्यात्मिक यात्रा के साथ ही प्रधानमंत्री रामगुलाम की भारत यात्रा का राजनयिक महत्व भी रहा। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, और दोनों नेताओं ने भारत-मॉरीशस उन्नत रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के विषय पर चर्चाएं कीं। इससे पहले, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी वाराणसी में उनसे शिष्टाचार भेंट की।

सांस्कृतिक और विकास सहयोग पर चर्चा

इस मुलाकात के दौरान, भारत और मॉरीशस ने विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, ब्लू इकॉनमी, और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की।

द्विपक्षीय रिश्तों में नया अध्याय

यह यात्रा मार्च 2025 में पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा से उत्पन्न सकारात्मक गति को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी, जब दोनों नेताओं ने संबंधों को 'उन्नत रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक पहुंचाया था।

इंडो-पैसिफिक में साझेदारी का प्रतीक

हिंद महासागर क्षेत्र में मॉरीशस भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है और यह देश भारत के 'सागर' (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) विज़न और 'पड़ोसी पहले' नीति में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

भारत-मॉरीशस सहयोग न केवल दोनों देशों के नागरिकों के लिए लाभदायक है, बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) की साझा आकांक्षाओं को भी बल देता है।

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