दिवाली के बाद धुएं की दीवार: पिछले पांच साल का रिकॉर्ड टूटा, 'घातक' श्रेणी में लखनऊ की हवा, AQI 419 के पार पहुंचा!

गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ जैसे NCR से सटे जिलों में भी AQI 400 के आसपास या उससे ऊपर दर्ज किया गया
लखनऊ : दिवाली के अगले ही दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हवा जहरीली हो गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 419 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया, जिसने पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। दीपावली की रात हुई भारी आतिशबाजी और वाहनों के प्रदूषण के कारण राजधानी गैस चैंबर जैसी स्थिति में आ गई।
सुबह के समय आसमान में घनी धुंध और धुएं की परत छाई रही, जिससे विजिबिलिटी पर भी असर पड़ा। इस गंभीर प्रदूषण ने न केवल सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ाया है, बल्कि पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों में सर्दी के साथ यह प्रदूषण 'सीवियर' श्रेणी में पहुंच सकता है।
पिछले पांच साल का रिकॉर्ड टूटा, 'घातक' श्रेणी में AQI
दीपावली की रात लखनऊ में प्रदूषण का स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया। सुबह के समय लखनऊ का औसत AQI 419 तक पहुंच गया, जिसे 'गंभीर' या 'घातक' श्रेणी में माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पिछले पांच वर्षों में अक्टूबर महीने में दर्ज किया गया सबसे खराब प्रदूषण स्तर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के मुताबिक, लखनऊ के प्रमुख क्षेत्र जैसे गोमती नगर, अलीगंज, लालबाग, चारबाग और इंदिरा नगर 'स्वास्थ्य के लिए हानिकारक' श्रेणी में बने रहे।f वायु में PM10 (पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर 420 µg/m³ तक दर्ज हुआ, जो सामान्य सीमा (100 µg/m³) से चार गुना से अधिक है, जबकि PM2.5 का स्तर भी 280 µg/m³ तक पहुंच गया। इस स्थिति ने यह साबित कर दिया कि दिवाली के पटाखों के धुएं और वाहनों के उत्सर्जन ने शहर की हवा में जहरीले कणों की मात्रा कई गुना बढ़ा दी है।
पश्चिमी जिलों में भी बिगड़े हालात: पूरे यूपी पर प्रदूषण का साया
लखनऊ ही नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ जैसे NCR से सटे जिलों में भी AQI 400 के आसपास या उससे ऊपर दर्ज किया गया, जिससे इन क्षेत्रों की हवा भी दमघोंटू बन गई है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम में आ रहे बदलाव और हवा की धीमी गति के कारण यह प्रदूषित धुआं और धुंध ऊपरी वातावरण में नहीं जा पा रही है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि 22 अक्टूबर के बाद रात के तापमान में गिरावट आएगी, जिससे ठंडी और शांत हवा प्रदूषक तत्वों को जमीन के करीब स्थिर कर देगी। यदि हवा की गति तेज नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी यूपी तक प्रदूषण की यह समस्या और गहरा सकती है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए खतरा बढ़ जाएगा।
स्वास्थ्य संकट गहराया, प्रशासन की चुनौती बढ़ी
दीपावली के तुरंत बाद वायु की गुणवत्ता 'गंभीर' होने से लखनऊ वासियों के लिए स्वास्थ्य संकट गहरा गया है। अस्पतालों और क्लीनिकों में सांस लेने में कठिनाई, आखों और गले में जलन, और लगातार खांसी की शिकायत वाले मरीजों की संख्या में तेजी आई है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने लोगों को सुबह और शाम के समय घर से बाहर निकलने से बचने, N95 मास्क का उपयोग करने और तरल पदार्थों का अधिक सेवन करने की सलाह दी है। प्रशासन के सामने अब इस प्रदूषण को नियंत्रित करने की बड़ी चुनौती है। यदि प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर सख्ती से अमल नहीं किया गया, तो सर्दी की शुरुआत के साथ ही लखनऊ दिल्ली की तरह एक 'गैस चैंबर' में तब्दील हो सकता है।
