लंदन में बैठकर यूपी से 4 साल तक लिया सैलरी: ब्रिटिश मौलाना शमसुल हुदा खान पर 16 लाख के सरकारी गबन का आरोप!

ब्रिटिश मौलाना शमसुल हुदा खान पर 16 लाख के सरकारी गबन का आरोप!
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एटीएस को जांच में पता चला कि मौलाना पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में संपर्क बनाए रखता था। 

भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक मौलाना शमसुल हुदा खान पर आजमगढ़ के एक मदरसे से 4 साल तक अपनी नागरिकता छिपाकर 16 लाख से अधिक का वेतन गबन करने का आरोप है।

संत कबीर नगर: उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले से धोखाधड़ी और सरकारी धन के गबन का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें एक ब्रिटिश नागरिक मौलाना शमसुल हुदा खान पर शिकंजा कसा गया है।

आरोप है कि लंदन में रहते हुए भी उसने आजमगढ़ के एक अनुदानित मदरसे में शिक्षक के पद पर काम करते रहने का नाटक किया और सरकारी कोष से 16 लाख रुपये से अधिक का वेतन अवैध तरीके से लिया। विभिन्न जाचों के बाद अब इस मौलाना के खिलाफ धोखाधड़ी, विदेशी फंडिंग के उल्लंघन और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

दोहरी पहचान का खुलासा- नागरिकता बदली पर वेतन नहीं छोड़ा

मौलाना शमसुल हुदा खान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के ही निवासी था, लेकिन उसने वर्ष 2013 में इंग्लैंड की नागरिकता हासिल कर ली थी। नियम के अनुसार उसको भारतीय सरकारी अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्थान की नौकरी तुरंत छोड़ देनी चाहिए थी।

इसके बावजूद, उसने अपनी ब्रिटिश नागरिकता की बात मदरसे के प्रबंधन से छिपाकर रखी और लगातार चार साल, यानी 2017 तक, आजमगढ़ के मदरसे से शिक्षक के रूप में वेतन प्राप्त करता रहा।

इस धोखेबाजी के कारण उसने राज्य सरकार के खजाने को कुल 16,59,555 का चूना लगाया। 2017 में मौलाना ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। मामला खुलने के बाद, मदरसा प्रबंधन की शिकायत पर आजमगढ़ के मुबारकपुर थाने में उसके खिलाफ जालसाजी और गबन का केस दर्ज किया गया है। हालांकि, मौलाना के लंदन में होने के कारण रिकवरी नोटिस के बावजूद वसूली नहीं हो पाई है।

विदेशों से अवैध फंडिंग और संपत्ति का खेल

सैलरी गबन के साथ ही, मौलाना शमसुल हुदा खान पर विदेशी फंडिंग से जुड़ी अनियमितताओं का भी पर्दाफाश हुआ है। एटीएस की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि मौलाना ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के विदेशों से भारतीय मदरसों के लिए पैसे जुटाए।

इस काम के लिए उसने कुलियातुल बनातीर रजबिया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी और रजा फाउंडेशन नाम से दो एनजीओ बनाए। एटीएस ने यह भी पाया कि वो फंड को मदरसों तक पहुचाने के लिए कमीशन लेते थे। इसके अतिरिक्त, लंदन में बैठे हुए भी, मौलाना ने अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर संत कबीर नगर में बेनामी संपत्तिया खरीदी थीं, जिसके लिए उनके खिलाफ दस्तावेजों में हेरफेर करने का एक अलग मुकदमा दर्ज किया गया है।

एटीएस की रिपोर्ट में संदिग्ध गतिविधिया और कनेक्शन

इस पूरे मामले को गंभीर बनाने में एटीएस, वाराणसी की जांच रिपोर्ट की अहम भूमिका है, जिसमें मौलाना की गतिविधिया सुरक्षा की दृष्टि से संदिग्ध पाई गईं। एटीएस को पता चला कि मौलाना लगातार विदेशों की यात्रा करता था और पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में संपर्क बनाए रखता था। उस पर ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से इस्लामी धर्म प्रचार को बढ़ावा देने और जम्मू कश्मीर के लोगों से संपर्क स्थापित करने की कोशिशों का भी आरोप है।

इन गंभीर आरोपों के आधार पर, एटीएस ने संबंधित विभागों को मौलाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उसके द्वारा संचालित दोनों मदरसों और एनजीओ की मान्यता तुरंत रद्द करने की सिफारिश की, जिसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।

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