पैसे के आगे पत्थर हुआ दिल: उन्नाव में बकाया किराये के चक्कर में मृतक को नहीं मिली दो गज जमीन, पत्नी मांगती रही भीख

उन्नाव में बकाया किराये के चक्कर में मृतक को नहीं मिली दो गज जमीन, पत्नी मांगती रही भीख
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मोहल्ले के लोगों ने जब यह मंजर देखा तो उनका गुस्सा फूट पड़ा।

कानपुर के हैलट में मौत के बाद पत्नी अनीता शव लेकर पहुंची थी। अंततः पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।

उन्नाव : उन्नाव के गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के ऋषि नगर में गरीबी और संवेदनहीनता का एक ऐसा चेहरा सामने आया है जिसने हर किसी की रूह कंपा दी। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे रिक्शा चालक विनोद कुमार की मौत के बाद, उनकी पत्नी जब एंबुलेंस से शव लेकर घर पहुंचीं, तो मकान मालिक ने बकाया किराए के लिए न केवल रास्ता रोका बल्कि शव को सड़क पर ही रहने को मजबूर कर दिया। यह घटना अब पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।

इलाज के दौरान तोड़ा दम और शुरू हुई प्रताड़ना

विनोद कुमार पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। आर्थिक तंगी के बावजूद उनकी पत्नी अनीता ने उन्हें कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान विनोद की सांसें थम गईं।

बदहवास अनीता जैसे-तैसे चंदा जुटाकर और एंबुलेंस कर पति के शव को उस कमरे तक लाईं जिसे उन्होंने अपना आशियाना समझा था। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें मकान मालिक के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।


चौखट पर रुका शव और मकान मालिक की जिद

जैसे ही एंबुलेंस ऋषि नगर स्थित किराए के मकान पर पहुंची, मकान मालिक ने मुख्य दरवाजा बंद कर लिया। उसका कहना था कि पिछले कई महीनों का किराया बकाया है और जब तक पाई-पाई का हिसाब नहीं होगा, शव घर के भीतर नहीं जाएगा।

स्थानीय चश्मदीदों और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार, अनीता घंटों अपने पति के शव के पास बैठकर रोती रही और मकान मालिक से मिन्नतें करती रही, लेकिन पत्थर दिल मकान मालिक का दिल नहीं पसीजा।

संतानहीन दंपत्ति की बेबसी और पुलिस का दखल

विनोद और अनीता की अपनी कोई संतान नहीं थी और न ही परिवार के अन्य सदस्यों से उनका कोई संपर्क था। उनके पास अंतिम संस्कार के लिए कफन तक के पैसे नहीं थे।

मोहल्ले के लोगों ने जब यह मंजर देखा तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। सूचना मिलने पर गंगाघाट कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस के कड़े रुख और मोहल्ले वालों के दबाव के बाद मकान मालिक पीछे हटा, लेकिन तब तक मानवता पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।


समाज ने दी अंतिम विदाई

कानपुर और उन्नाव के स्थानीय पत्रकारों ने जब इस मामले को सोशल मीडिया पर उठाया, तो प्रशासन और समाज के लोग सक्रिय हुए।

स्थानीय सभासद और पुलिसकर्मियों ने आपसी सहयोग से अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक मदद जुटाई। शनिवार की देर शाम भारी मन से विनोद कुमार का अंतिम संस्कार किया गया।

इस घटना ने शहरी इलाकों में रहने वाले उन लोगों की मानसिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं जो चंद रुपयों के लिए किसी की मृत्यु की गरिमा को भी भूल जाते हैं।

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