नवंबर में बढ़ेगी कड़ाके की ठंड: पश्चिमी विक्षोभ और 'ला-नीना' से उत्तर भारत में बारिश-बर्फबारी से, शीतलहर और प्रदूषण का दोहरा खतरा!

अचानक तापमान गिरने से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ेंगे।
लखनऊ डेस्क : उत्तर भारत में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। जहा दिन में हल्की गर्मी बनी हुई है, वहीं अब रातें सर्द होने लगी हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के अनुसार, नवंबर के शुरुआती सप्ताहों में कड़ाके की ठंड दस्तक दे सकती है। पहाड़ों पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और ग्लोबल मौसमी घटना 'ला-नीना' के प्रभाव से कई राज्यों में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी। इसके साथ ही, कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी की भी संभावना है, जिससे शीतलहर का प्रभाव और बढ़ेगा। हवा में नमी और प्रदूषण का बढ़ता स्तर स्वास्थ्य के लिए नई चुनौतियाँ पैदा करेगा।
पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी इलाकों में ठंड की दस्तक
मौसम में बदलाव का मुख्य कारण हिमालयी क्षेत्रों में एक नए पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना है। यह मौसमी सिस्टम उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ऊचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी को तेज करेगा। जैसे ही पहाड़ों पर बर्फ जमनी शुरू होती है, उत्तर-पश्चिमी दिशा से आने वाली हवाए बर्फीली ठंडक लेकर मैदानी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर रुख करेंगी। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार ला-नीना के प्रभाव के कारण सर्दी जल्दी शुरू होगी और इसका असर मध्य फरवरी तक बना रह सकता है।
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से ही रात के न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट शुरू हो जाएगी, जिससे सुबह और शाम की गुलाबी सर्दी जल्द ही चुभने वाली ठंड में बदल जाएगी। यह तापमान गिरावट ही नवंबर के शुरुआती दिनों में अच्छी-खासी ठंड की नींव रखेगी।
नवंबर के पहले सप्ताह में संभावित बारिश और उसके कारण
नवंबर के पहले सप्ताह में उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना है, जिसका सीधा संबंध पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले मौसमी सिस्टम से है। हालाकि उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है, फिर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आंशिक रूप से बादल छा सकते हैं और हल्की वर्षा हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बन रहे मौसमी सिस्टम के आगे बढ़ने से उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अप्रत्याशित बारिश हो सकती है। इस समय होने वाली कोई भी बारिश रबी की फसलों जैसे गेहूं के लिए अनुकूल हो सकती है, लेकिन अगर यह कटाई के करीब की फसलों जैसे धान के लिए आती है, तो किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट में किसानों को बदलते मौसम के अनुसार अपनी फसलों की तैयारी करने की सलाह दी गई है।
घटते तापमान के साथ प्रदूषण और स्वास्थ्य की चुनौतिया
बढ़ती ठंड के साथ ही मैदानी इलाकों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा: अत्यधिक ठंड तापमान में गिरावट के साथ-साथ हवा की गति कम हो जाती है, जिससे धूल और प्रदूषक कण सतह के करीब जमा होने लगते हैं। दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में यह धुंध और प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा। सुबह के समय घने कोहरे की परत और धुंधलापन सड़कों पर दृश्यता को कम कर देगा, जिससे आवागमन में बाधा आएगी। इसके अलावा, अचानक तापमान गिरने से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ेंगे। बच्चों और बुजुर्गों में सर्दी, खांसी, और सांस संबंधी वायरल संक्रमणों के मामले तेज़ी से बढ़ने की आशंका है।
