कैंसर से जंग होगी आसान: हैलट हॉस्पिटल में आएगी HIPEC मशीन, हजारों को मिलेगी नई उम्मीद

Hyperthermic Intraperitoneal Chemotherapy In Kanpur
कानपुर: उत्तर प्रदेश मे कैंसर के मरीजों के लिए मरीजों के लिए कानपुर के हैलेट हॉस्पिटल ने बड़ी पहल की है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में प्रदेश के किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में पहली बार अत्याधुनिक हाईपैक (HIPEC) कीमोथेरेपी की सुविधा शुरू की जाएगी। यह कदम उन हजारों कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित होगा, जिन्हें अभी तक इस विशेष इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई के महंगे निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता था।
यह तकनीक खास तौर पर पेट, अंडाशय और आंतों के कैंसर में बहुत प्रभावी मानी जाती है। इससे इलाज का खर्च काफी कम हो जाएगा और गरीब व मध्यम वर्ग के लोग भी इसका लाभ उठा पाएंगे।
क्या है हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी (HIPEC)?
हाईपैक (Hyperthermic Intraperitoneal Chemotherapy) एक उन्नत चिकित्सा पद्धति है जो सर्जरी को कीमोथेरेपी के साथ जोड़ती है। यह पारंपरिक कीमोथेरेपी से बिल्कुल अलग है, जिसमें दवाएं नसों के जरिए पूरे शरीर में दी जाती हैं। इसके बजाय, हाईपैक में दवा को सीधे पेट के अंदरूनी हिस्से में डाला जाता है।
यह विधि उन कैंसर के लिए विशेष रूप से कारगर है जो पेट की आंतरिक झिल्ली पर फैल जाते हैं। इसमें कोलोरेक्टल, अंडाशय, गैस्ट्रिक, और एपेंडिक्स के कैंसर शामिल हैं।
कैसे काम करती है यह खास तकनीक?
यह इलाज दो चरणों में पूरा होता है। सबसे पहले, सर्जन मरीज के पेट से दिखाई देने वाले सभी ट्यूमर और कैंसर कोशिकाओं को हटाते हैं। इस प्रक्रिया को साइटोरिडक्टिव सर्जरी कहते हैं।
सर्जरी के बाद, एक विशेष मशीन का उपयोग करके कीमोथेरेपी की दवा को 42 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है और इसे लगभग 90 मिनट तक मरीज के पेट के अंदर घुमाया जाता है। दवा को गर्म करने से इसकी प्रभावशीलता कई गुना बढ़ जाती है, और यह उन सूक्ष्म कैंसर कोशिकाओं को भी खत्म कर देती है जो सर्जरी के दौरान दिखाई नहीं देतीं। इससे कैंसर के दोबारा होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
मरीजों को क्या फायदा मिलेगा?
हाईपैक कीमोथेरेपी के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं:
- कम दुष्प्रभाव: चूंकि दवा सीधे कैंसर वाली जगह पर काम करती है, इसलिए पूरे शरीर में फैलने वाली पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में इसके दुष्प्रभाव (जैसे बाल झड़ना, कमजोरी) काफी कम होते हैं।
- सटीक इलाज: यह तकनीक कैंसर कोशिकाओं को सीधे और प्रभावी ढंग से निशाना बनाती है, जिससे स्वस्थ ऊतकों को नुकसान कम होता है।
- जीवन में सुधार: डॉक्टरों की माने तो यह विधि चुनिंदा मरीजों में जीवन की गुणवत्ता और उत्तरजीविता दर (survival rate) को बढ़ाती है।
