इन्वेस्ट यूपी की नई उड़ान: जापानी कंपनियों के लिए डेडिकेटेड मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर बसेगी 'जापानी सिटी'

जापानी सिटी के साथ ही,365 हेक्टेयर क्षेत्र में एक 'कोरियन सिटी' भी विकसित करने की योजना बना रहा है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश को $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में राज्य सरकार अब विदेशी निवेश पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। सिंगापुर के साथ सफल संवाद के बाद, अब इन्वेस्ट यूपी ने जापान को प्रमुख निवेश भागीदार बनाने पर जोर दिया है।
इसी कड़ी में, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में लगभग 500 एकड़ में एक 'जापानी सिटी' विकसित करने की योजना पर तेज़ी से काम चल रहा है, जिसका उद्देश्य जापानी कंपनियों के लिए भारत में एक पसंदीदा औद्योगिक और आवासीय गंतव्य बनाना है।
जापानी सिटी की संरचना, उद्देश्य और लोकेशन की योजना
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के करीब यह 'जापानी सिटी' एक एकीकृत केंद्र के रूप में विकसित की जाएगी, जिसकी योजना विस्तृत और रणनीतिक है।
यह सिटी लगभग 500 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है, जिसे YEIDA के सेक्टर-5ए में विकसित करने की योजना है। इसकी रणनीतिक स्थिति इसे जेवर एयरपोर्ट से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर होने का लाभ देगी, जिससे लॉजिस्टिक्स और वैश्विक कनेक्टिविटी बेहद आसान हो जाएगी।
इस शहर का मुख्य लक्ष्य जापानी कंपनियों को विनिर्माण इकाइयां और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करना है। इसके अलावा, यहां जापानी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए आवासीय, स्कूल, अस्पताल और सांस्कृतिक सुविधाओं सहित एक सम्पूर्ण जापानी परिवेश तैयार किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, कुल क्षेत्र का लगभग 70% हिस्सा औद्योगिक इकाइयों के लिए, जबकि शेष 30% आवासीय और वाणिज्यिक विकास के लिए आरक्षित होगा।
प्राथमिकता में रखे गए प्रमुख औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्र
इन्वेस्ट यूपी ने जापानी कंपनियों को लुभाने के लिए कुछ विशेष क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है, जिनमें जापानी कंपनियों की विशेषज्ञता और रुचि सबसे अधिक है और जो राज्य की औद्योगिक वृद्धि में सहायक सिद्ध होंगे।
YEIDA के मेडिकल डिवाइस पार्क में जापानी कंपनियों की गहरी रुचि है। इस संबंध में, 'मेडिकल एक्सीलेंस जापान' जैसी संस्थाओं के साथ रणनीतिक साझेदारी की तैयारी है, जो अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की तकनीक और विशेषज्ञता का हस्तांतरण भारत को करेगी।
जापानी कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ESDM), सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और चिप्स जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, मोटर वाहन निर्माण, ग्रीन हाइड्रोजन, और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में भी जापानी निवेश की बढ़ती रुचि देखी जा रही है, जो उत्तर प्रदेश की बढ़ती औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है।
निवेश प्रोत्साहन के लिए जापान स्थित भारतीय दूतावास से समन्वय
उत्तर प्रदेश में जापानी निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्ट यूपी लगातार सक्रिय कदम उठा रहा है और जापान में संस्थागत सहयोग को मजबूत कर रहा है।
इन्वेस्ट यूपी की जापान डेस्क ने निवेश आकर्षित करने के लिए जापान स्थित भारतीय दूतावास के उप मिशन प्रमुख आर. मधु सूदन के साथ महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठकें की हैं। इन बैठकों में राज्य सरकार द्वारा जापानी निवेशकों को सुगम और अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया।
इसके अलावा, यामानाशी प्रीफेक्चरल सरकार, जापान बाह्य व्यापार संगठन (JETRO), और कांसाई औषधि उद्योग संघ जैसे प्रमुख जापानी संस्थानों के साथ सक्रिय सहभागिता बढ़ाई जा रही है।
राज्य सरकार की एफडीआई नीति में भूमि की लागत, स्टांप शुल्क में रियायतें, और औद्योगिक भूखंडों पर मिश्रित उपयोग जैसी सुविधाएं शामिल हैं, जो विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण हैं।
विदेशी निवेश प्रवाह बढ़ाने के लिए अन्य योजनाएं और बड़े प्रोजेक्ट्स
'जापानी सिटी' के अलावा, YEIDA क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए अन्य महत्वपूर्ण औद्योगिक और आवासीय परियोजनाएं भी समानांतर रूप से चल रही हैं, जिससे निवेश का वातावरण और मज़बूत होगा।
जापानी सिटी के साथ ही, YEIDA सेक्टर-4ए में लगभग 365 हेक्टेयर क्षेत्र में एक 'कोरियन सिटी' (Korean City) भी विकसित करने की योजना बना रहा है, जिससे उत्तर प्रदेश एशिया के दो प्रमुख औद्योगिक दिग्गजों के लिए एक बड़ा केंद्र बन जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, और रैपिड रेल जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं के कारण यह क्षेत्र विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे से लाभान्वित हो रहा है, जो विदेशी कंपनियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, राज्य सरकार ने निवेशकों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखने पर जोर दिया है, जिसका परिणाम वित्तीय वर्ष 2025-26 में $683 मिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी निवेश के रूप में देखा गया है।
