काशी में परिवहन क्रांति का उदय: मई 2026 तक शुरू होगा देश का पहला अर्बन रोप-वे, बदलेगी वाराणसी की यातायात व्यवस्था

मई 2026 तक शुरू होगा देश का पहला अर्बन रोप-वे, बदलेगी वाराणसी की यातायात व्यवस्था
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इस प्रणाली में कुल लगभग 148 गोंडोला संचालित किए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक में 10 लोग आराम से यात्रा कर सकेंगे।

800 करोड़ की लागत वाली यह पीपीपी परियोजना मई 2026 तक चालू हो जाएगी, जिसमें 148 गोंडोला (केबल कार) प्रतिदिन 1 लाख यात्रियों को ले जा सकेंगे। यह प्रणाली काशी के यातायात को आधुनिक बनाएगी।

वाराणसी : धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में यातायात की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए, भारत सरकार कैंट रेलवे स्टेशन से श्री काशी विश्वनाथ धाम तक देश के पहले अर्बन रोप-वे का निर्माण युद्धस्तर पर कर रही है।

यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुगम आवागमन प्रदान करेगी, बल्कि यह शहरी परिवहन के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर भी साबित होगी। लगभग 800 करोड़ की लागत से बन रही यह प्रणाली, 4 किलोमीटर की व्यस्त दूरी को केवल 16 मिनट में तय करके, मई 2026 तक काशी की यातायात संरचना को मौलिक रूप से बदलने के लिए तैयार है।

यह अर्बन रोप-वे स्विट्जरलैंड की उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग करके बनाया जा रहा है।

परियोजना की संरचना, लागत और तकनीक यह परियोजना पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में रोप-वे का उपयोग करने वाली भारत की पहली शहरी प्रणाली है। इस 4.0 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच को मई 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अनुमानित 800 करोड़ का खर्च आएगा।

इस मार्ग पर कुल पांच स्टेशन होंगे: कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर, और गोदौलिया चौराहा। गोदौलिया स्टेशन सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर और प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट के सबसे करीब होगा। इस परियोजना के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को अपनाया गया है।

इसका निर्माण स्विट्जरलैंड की बर्थोलेट कंपनी और भारत की एनएचएआई की सहायक कंपनी एनएचएआईएल मिलकर कर रहे हैं। बर्थोलेट अपनी उन्नत और सुरक्षित केबल कार टेक्नोलॉजी के लिए जानी जाती है। यह रोप-वे प्रतिदिन लगभग 16 घंटे संचालित किया जाएगा। वर्तमान में, सभी पांच स्टेशनों पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।

यात्री क्षमता, सुरक्षा और सुविधाएं

इस अर्बन रोप-वे को उच्च यात्री घनत्व को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो वाराणसी में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा करेगा। इस प्रणाली में कुल लगभग 148 गोंडोला संचालित किए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक में 10 लोग आराम से यात्रा कर सकेंगे।

अनुमान है कि यह प्रणाली प्रतिदिन लगभग 1 लाख यात्रियों को वहन करने में सक्षम होगी। पारंपरिक रूप से कैंट से गोदौलिया तक की यात्रा में पीक ऑवर में 45 मिनट से एक घंटा लग सकता है, लेकिन रोप-वे से यह दूरी सिर्फ 16 मिनट में पूरी हो जाएगी।

इसमें प्रयुक्त केबल कार तकनीक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर आधारित है। सभी स्टेशनों को लिफ्ट, एस्केलेटर, डिजिटल टिकटिंग सिस्टम, और यात्रियों के लिए फूड कोर्ट जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव

यह परियोजना वाराणसी के स्थानीय और क्षेत्रीय अर्थतंत्र पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालेगी। यह रोप-वे वाराणसी के सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों जैसे रथयात्रा और गोदौलिया चौराहे पर लगने वाले जाम से मुक्ति दिलाएगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, यह रोप-वे सीधे कैंट स्टेशन से भक्तों को मंदिर के करीब पहुंचाकर उनकी यात्रा को आरामदायक बनाएगा। पर्यटन में लगने वाले समय को कम करके यह स्थानीय व्यवसायों को भी बढ़ावा देगा।

केबल कारें परिवहन का एक पर्यावरण-अनुकूल साधन हैं, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करती हैं। शुरुआती टिकट दरें 50 से 100 के बीच होने की संभावना है, जो इसे आम जनता के लिए सुलभ बनाएगी।

भविष्य की दिशा और महत्व

यह वाराणसी रोप-वे भारत के अन्य शहरों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा, जहां भौगोलिक या यातायात की जटिलताओं के कारण पारंपरिक परिवहन कठिन है। इस परियोजना की सफलता के बाद, देहरादून, शिमला और अन्य भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में भी इसी तरह की अर्बन रोप-वे प्रणालियों की संभावनाए तलाशी जा रही हैं।

इस तरह की आधुनिक परिवहन प्रणाली वाराणसी को एक वैश्विक, आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी। वाराणसी के कमिश्नर एस राजलिंगम ने इस परियोजना को शहर की बढ़ती आवश्यकताओं को देखते हुए एक अनिवार्यता बताया है।

इस परियोजना का समय पर, मई 2026 तक, पूरा होना देश के शहरी परिवहन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय होगा।

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