यूपी की लाइफलाइन गंगा एक्सप्रेसवे का इंतज़ार खत्म: दिसंबर में ट्रायल रन; जनवरी 2026 में उद्घाटन की तैयारी

यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों (मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज) को जोड़ेगा।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे लंबे (594 कि.मी.) गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण अब अंतिम चरण में है। मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने वाला यह विशाल प्रोजेक्ट अब लगभग 97% पूरा हो चुका है, जिसका मुख्य कैरिजवे लगभग बनकर तैयार है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह में इसका ट्रायल रन पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद, जनवरी 2026 के मध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किए जाने की संभावना है, जिसके साथ ही यह एक्सप्रेसवे जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
निर्माण कार्य और उद्घाटन की समय-सीमा
राज्य के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे का निर्माण युद्ध स्तर पर किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, एक्सप्रेसवे का लगभग 97 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिसंबर 2025 तक परियोजना को हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया गया था।
पहले चरण में मेरठ से बदायूं तक का 129 किलोमीटर का सेक्शन ट्रायल के लिए पूरी तरह तैयार है। पूरे एक्सप्रेसवे पर ट्रायल रन दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा।
अंतिम तकनीकी परीक्षणों के बाद, उम्मीद है कि यह एक्सप्रेसवे जनवरी 2026 के दूसरे सप्ताह में उद्घाटन के लिए तैयार हो जाएगा। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने से मेरठ और प्रयागराज के बीच की 594 कि.मी. की दूरी सिर्फ 6 घंटे में पूरी की जा सकेगी, जिससे यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।
एक्सप्रेसवे की प्रमुख विशेषताएं और सामरिक महत्व
गंगा एक्सप्रेसवे कई मायनों में खास है। यह 6 लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है, जिसे भविष्य की जरूरतों के अनुसार 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है। इस मार्ग पर वाहनों की अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित की गई है।
इस एक्सप्रेसवे की एक महत्वपूर्ण विशेषता शाहजहांपुर के जलालाबाद में तैयार की गई 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी है। यह हवाई पट्टी आपातकाल में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के उतरने के लिए इस्तेमाल की जाएगी, जो इसे सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए लगभग 36,230 करोड़ रुपये की लागत आई है।
कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास का नया दौर
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों (मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज) को जोड़ेगा।
इस कनेक्टिविटी को और मजबूत करने के लिए 91 किलोमीटर लंबा फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे भी बनाया जा रहा है। यह लिंक एक्सप्रेसवे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इटावा, कन्नौज, मैनपुरी और फर्रुखाबाद जैसे जिलों को सीधे गंगा एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से जोड़ देगा।
बेहतर आवागमन के साथ-साथ, एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारे विकसित किए जा रहे हैं। ये गलियारे लॉजिस्टिक कंपनियों, शैक्षिक संस्थानों और उद्योगों को भूमि आवंटित करेंगे, जिससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
