विवादों से नाता: धोखाधड़ी के 26 साल पुराने मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर गिरफ्तार

धोखाधड़ी के 26 साल पुराने मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर गिरफ्तार
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1993 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर अपनी सेवाकाल के दौरान कई विवादों में रहे हैं।

उन पर देवरिया औद्योगिक प्लॉट आवंटन में पद का दुरुपयोग करने और जांच में सहयोग न करने का आरोप है। उन्हें गिरफ्तार कर देवरिया ले जाया गया है।

लखनऊ : पूर्व आईपीएस अधिकारी और 'आज़ाद अधिकार सेना' के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को मंगलवार की रात लखनऊ से दिल्ली जाते समय शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर एसटीएफ ने हिरासत में ले लिया।

यह गिरफ्तारी उनके खिलाफ देवरिया में दर्ज वर्ष 1999 के एक धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले से जुड़ी है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर देवरिया ले गई, जहा उन पर जांच में सहयोग न करने का भी आरोप लगाया गया है।

गिरफ्तारी की कार्यवाही और पुलिस का आरोप

एसटीएफ की टीम ने अमिताभ ठाकुर को लखनऊ से दिल्ली जा रही ट्रेन से उस समय उतारा, जब वह शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन पर थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सीधे देवरिया ले जाया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई मुख्य रूप से तालकटोरा थाने में दर्ज 1999 के एक मामले से संबंधित है।

पुलिस का कहना है कि पूर्व अधिकारी पर दर्ज मुकदमे की जांच में सहयोग न करने का आरोप है, जिसके कारण यह कदम उठाया गया। उन्हें लखनऊ पुलिस की एसआईटी द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।

1999 के औद्योगिक प्लॉट आवंटन का मामला

गिरफ्तारी का मुख्य आधार देवरिया औद्योगिक क्षेत्र (डीआईडीसी) में एक औद्योगिक प्लॉट (संख्या बी-2) के अवैध आवंटन से संबंधित है। यह मामला तब का है जब अमिताभ ठाकुर देवरिया के पुलिस अधीक्षक थे।

उन पर अपने पद का कथित रूप से दुरुपयोग करते हुए वर्ष 1999 में इस प्लॉट का आवंटन अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर करवाने का आरोप है।

फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल और जालसाजी का आरोप

शिकायतकर्ता संजय शर्मा के अनुसार, प्लॉट आवंटन में भारी अनियमितताएं और जालसाजी की गई थी। आरोप है कि प्लॉट खरीदते समय नूतन ठाकुर के नाम के लिए जानबूझकर फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया गया।

इसमें पत्नी का नाम 'नूतन देवी' और पति का नाम 'अभिताप ठाकुर' या 'अभिजित ठाकुर' दर्शाया गया था। साथ ही, पता भी बिहार के सीतामढ़ी का फर्जी बताया गया था। यह आरोप है कि इस दस्तावेज़ी हेरफेर का उद्देश्य सरकारी विभागों और बैंकों को धोखे में रखना था।

इसी मामले में सितंबर 2025 में लखनऊ के तालकटोरा थाने में धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

अनिवार्य सेवानिवृत्ति और राजनीतिक प्रतिशोध का दावा

1993 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर अपनी सेवाकाल के दौरान कई विवादों में रहे हैं। उन्हें साल 2021 में केंद्र सरकार द्वारा 'अनिवार्य सेवानिवृत्ति' दे दी गई थी, जब गृह मंत्रालय ने उन्हें सेवा जारी रखने के लिए 'फिट' नहीं माना था।

वर्तमान गिरफ्तारी के बाद, अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने इसे सत्ता के राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा बताया है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई 26 साल पुराने मामले में मिले पुख्ता सबूतों और जांच में सहयोग न करने के कारण की गई है।

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