बड़ी खबर: यूपी में अगले छह महीने के लिए हड़तालों पर लगाम, सरकारी कर्मचारियों के लिए 'एस्मा' लागू

यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि सरकार बिना किसी रुकावट के राज्य का कार्य सुचारू रूप से चलाती रहे।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश की आवश्यक सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य में अगले छह महीने यानी 11 दिसंबर 2025 तक के लिए अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम लागू कर दिया है।
इस अधिनियम के लागू होते ही, राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के किसी भी तरह की हड़ताल या सामूहिक अवकाश पर शामिल होने पर सख्त पाबंदी लग गई है।
यह कदम जनहित में आवश्यक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, बिजली, पानी और परिवहन की सुचारू आपूर्ति बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
ESMA लागू करने का विस्तृत आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार, अब राज्य के किसी भी सरकारी विभाग, निगम, प्राधिकरण या स्थानीय निकाय के कर्मचारियों को हड़ताल करने की अनुमति नहीं होगी।
इस प्रतिबंध में न केवल हड़ताल की घोषणा करना शामिल है, बल्कि सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर जाना, कार्य बहिष्कार करना, या किसी भी रूप में काम को बाधित करना भी शामिल है।
यह प्रतिबंध राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने, सार्वजनिक सेवाओं को अबाधित रखने और स्वास्थ्य चुनौतियों के दौरान सेवाओं को सुचारु रखने के लिए अनिवार्य माना गया है।
नियम तोड़ने पर कानूनी कार्रवाई और परिणाम
एस्मा अधिनियम एक सख्त कानून है, और इसका उल्लंघन करने पर गैर-जमानती गिरफ्तारी तक का प्रावधान है। अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उल्लंघन करने वाले कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है, वेतन कटौती की जा सकती है, और साथ ही पुलिस भी अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकती है।
इस कानून का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक सेवा वितरण से जुड़े महत्वपूर्ण कर्मचारी किसी भी परिस्थिति में अपने काम से विमुख न हों।
एस्मा क्या है और इसका प्रभाव
अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (ESMA) केंद्र या राज्य सरकार को यह शक्ति देता है कि वह कुछ सेवाओं को 'आवश्यक सेवा' घोषित करके उनमें हड़ताल को रोक सके। इसका उद्देश्य उन सेवाओं को बनाए रखना है, जिनकी अनुपस्थिति में सामान्य सामुदायिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में इसे लागू करने का सीधा अर्थ है कि स्वास्थ्यकर्मी, बिजली विभाग के कर्मचारी, परिवहन कर्मचारी, सफाई कर्मचारी और प्रशासनिक कर्मचारी - ये सभी अगले छह महीने तक अपनी मांगों को लेकर किसी भी प्रकार की हड़ताल या विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि सरकार बिना किसी रुकावट के राज्य का कार्य सुचारू रूप से चलाती रहे।
