योगी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: शिक्षा सेवा चयन आयोग करेगा मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति; मसौदा तैयार!

शिक्षा सेवा चयन आयोग करेगा मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति; मसौदा तैयार!
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नई भर्ती प्रक्रिया लागू होने से शिक्षकों की पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां हो सकेंगी।

यूपी सरकार ने मदरसा शिक्षकों की भर्ती के नियम बदल दिए हैं। अब यह अधिकार प्रबंधन से लेकर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को सौंपा जाएगा।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब तक मदरसा प्रबंधन के हाथों में रहा शिक्षकों की भर्ती का अधिकार समाप्त किया जा रहा है।

भविष्य में अनुदानित मदरसों में शिक्षकों का चयन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से किया जाएगा। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही राज्य कैबिनेट के विचार और अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।

प्रबंधन से अधिकार वापस लेने का कारण

अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, वर्तमान व्यवस्था में मदरसों में शिक्षकों की भर्ती उनके प्रबंधन द्वारा ही की जाती रही है। इतना ही नहीं, शिक्षकों को अगला वेतनमान देना या उससे जुड़ी कोई भी वित्तीय मंजूरी भी प्रबंधन के फैसले पर ही निर्भर करती थी।

इस प्रणाली के कारण भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। नई व्यवस्था के लागू होने के बाद अनुदानित मदरसों के प्रबंधन से शिक्षकों की भर्ती का यह अधिकार पूरी तरह से वापस ले लिया जाएगा, जिससे चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और योग्यता आधारित बन सके।

शिक्षा सेवा चयन आयोग की भूमिका

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग राज्य में बेसिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए एक एकीकृत निकाय है। अब मदरसों को भी इसी आयोग के दायरे में लाकर शिक्षकों की नियुक्ति को एकरूपता दी जाएगी।

यह आयोग अध्यापकों के चयन के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश तय करेगा। आयोग द्वारा चयन परीक्षा, साक्षात्कार और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं के माध्यम से अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा और उनकी नियुक्ति के लिए संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी को संस्तुति भेजी जाएगी। इस प्रकार, मदरसा शिक्षकों की चयन प्रक्रिया अब पूरी तरह से निष्पक्ष, समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण होगी।

मदरसा शिक्षा की वर्तमान स्थिति का विस्तृत ब्यौरा

राज्य में वर्तमान में कुल 13,329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं, जिनमें कुल 12,35,400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन मदरसों को स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

इनमें से 9,979 मदरसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 8) के हैं, जबकि 3,350 मदरसे माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से 12) के हैं।राज्य सरकार से अनुदानित मदरसों की संख्या 561 है, जिनमें कुल 2,31,806 छात्र पंजीकृत हैं।

कर्मचारियों और वेतनमान की स्थिति

अनुदानित मदरसों में बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं। यहा कार्यरत शिक्षकों की कुल संख्या 9,889 है, वहीं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कुल संख्या 8,367 है। इन सभी कर्मियों को केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं।

नई भर्ती प्रक्रिया लागू होने के बाद योग्य शिक्षकों को नियमित और पारदर्शी माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।

पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव की तैयारी

शिक्षक भर्ती नियमों में बदलाव के साथ ही, मदरसा शिक्षा के पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने अपनी संस्तुतियां तैयार कर ली हैं।

इन संस्तुतियों के लागू होने के बाद मदरसों में भी अब यूपी बोर्ड की तरह आधुनिक विषय पढ़ाए जाएंगे। छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं और रोजगार के बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इंटरमीडिएट में कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय भी शामिल किए जाएंगे।

इन आधुनिक विषयों के साथ-साथ उर्दू, अरबी और फारसी जैसे पारंपरिक विषय भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बने रहेंगे, ताकि धार्मिक शिक्षा और आधुनिक ज्ञान का समन्वय स्थापित किया जा सके। यह प्रयास मदरसा छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहायक सिद्ध होगा।


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