यूपी सहित 12 राज्यों में SIR लागू होगा: चुनाव आयोग ने दूसरे चरण का किया ऐलान, जानिए पूरी प्रकिया!

चुनाव आयोग ने दूसरे चरण का किया ऐलान, जानिए पूरी प्रकिया!
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जिन राज्यों में SIR हो रहा है, उन सभी राज्यों की मतदाता सूचियां घोषणा के दिन रात 12 बजे तक तुरंत फ्रीज कर दी जाएंगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया में सबसे पहले राज्यों की वोटर लिस्ट फ्रीज की जाएगी। इसके बाद बीएलओ हर मतदाता को 'एनुमरेशन फॉर्म' वितरित करेंगे।

लखनऊ डेस्क : चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों में 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) के दूसरे चरण की घोषणा कर दी है। इस राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया का मुख्य लक्ष्य मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाना है। चुनाव आयोग के अनुसार, SIR यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पात्र मतदाता नहीं छूटे और साथ ही, कोई भी अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भी लागू होगी। CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इससे पहले बिहार चुनाव के दौरान भी वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किया गया था, जिसमें करीब 65 लाख नाम डिलीट किए गए थे, और इस पर काफी विवाद हुआ था, जो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार को भी पहचान पत्र के तौर पर शामिल किया गया था और नए नाम जोड़े गए थे।

देश के 12 राज्यों में SIR की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया

SIR प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के लिए चुनाव आयोग ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

1) Enumeration Forms की प्रिंटिंग: सबसे पहला काम 'एनुमरेशन फॉर्म्स' संख्या में प्रिंट किया जाएगा।

2) वोटर लिस्ट फ्रीज: जिन राज्यों में एसआईआर हो रहा है, उन सभी राज्यों की मतदाता सूचियां घोषणा के दिन रात 12 बजे तक तुरंत फ्रीज कर दी जाएंगी।

3) घर-घर फॉर्म वितरण: फ्रीज सूची के सभी मतदाताओं को बूथ लेवल अधिकारी (BLO) द्वारा उनके घर पर एक विशिष्ट 'एनुमरेशन फॉर्म' दिया जाएगा, जिसमें उनके वर्तमान मतदाता सूची के सभी आवश्यक विवरण होंगे।

4) 2003 की लिस्ट से मिलान: बीएलओ जब वोटरों को फॉर्म वितरित करेंगे, तो वे इस फॉर्म में मौजूद नाम का 2003 की लिस्ट से मिलान करेंगे।

5) ऑनलाइन सत्यापन सुविधा: पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने कहा कि 2002 से 2004 तक की एसआईआर की मतदाता सूची को कोई भी व्यक्ति http://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन देख सकता है और स्वयं अपने विवरण का मिलान कर सकता है।

दस्तावेज़ जमा करने की अनिवार्यता और मुख्य चुनाव आयुक्त के निर्देश

सीईसी ज्ञानेश कुमार ने दस्तावेजों की आवश्यकता को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं, जिससे योग्य मतदाताओं को अनावश्यक कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी:-

नाम मिलान होने पर छूट: बीएलओ द्वारा मौजूदा मतदाताओं को प्रपत्र वितरित करने के बाद, यदि किसी व्यक्ति के नाम का मिलान 2003 की मतदाता सूची में हो जाता है, तो उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।

माता/पिता के नाम का आधार: यदि मतदाता का नाम उस सूची में नहीं है, लेकिन उनके माता या पिता का नाम 2003 की सूची में था, तब भी उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने को आसान बनाने के लिए उठाया गया है।

उत्तर प्रदेश की सियासत पर SIR का संभावित असर

​उत्तर प्रदेश में SIR का लागू होना राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर सकता है। चुंकि यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट की पुनः निरीक्षण करेगी, इसलिए इसका सीधा असर मतदान प्रतिशत और मतदाताओं की जनसांख्यिकी पर पड़ सकता है। पिछली बार बिहार में लाखों नाम डिलीट किए जाने के बाद विपक्षी दल और सत्तारूढ़ दल दोनों ही इस प्रक्रिया पर कड़ी नज़र रखेंगे। राजनीतिक दल अब यह सुनिश्चित करने के लिए अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेंगे कि उनके समर्थक मतदाता सूची में शामिल रहें, जिससे बीएलओ और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच संपर्क बढ़ेगा। इस पुनरीक्षण के बाद तैयार होने वाली नई सूची, राज्य की आगामी चुनावी रणनीति और सीटों के समीकरण को प्रभावित कर सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां वोटर लिस्ट में खामियां अधिक हैं।

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