मैडम सर्जन का 'ट्रिपल गेम: तीन पासपोर्ट, तीन पते, तीन बार पाकिस्तान यात्रा! करोड़ों का लेन-देन, विदेशी फंडिंग की आशंका

एक पासपोर्ट में उसके पिता को, दूसरे में पति को, और तीसरे में भाई डॉ. परवेज को अभिभावक बताया गया है।
लखनऊ : आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की अहम सदस्य डॉ. शाहीन को लेकर जांच एजेंसियों को बड़ा खुलासा मिला है। जांच के दौरान डॉ. शाहीन के पास तीन पासपोर्ट होने की जानकारी सामने आई है, जिनमें से हरेक में पता और अभिभावक का नाम अलग-अलग दर्ज है।
अलग-अलग पते और अभिभावक
डॉ. शाहीन के पास से मिले तीनों पासपोर्ट पर अलग-अलग पते दर्ज हैं। एक पासपोर्ट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के पते पर बनवाया गया था, दूसरा पासपोर्ट लखनऊ के पते पर और तीसरा पासपोर्ट फरीदाबाद के पते पर है।
तीनों पासपोर्ट पर अभिभावक के नाम भी भिन्न हैं। एक पासपोर्ट में उनके पिता को, दूसरे में उनके पति को, और तीसरे पासपोर्ट में उनके भाई डॉ. परवेज अंसारी को अभिभावक के तौर पर दर्शाया गया है। सबसे बाद में बने पासपोर्ट में लखनऊ स्थित इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के कैंपस का पता दर्ज है, जहां डॉ. शाहीन का भाई डॉ. परवेज नौकरी करता था। जांच एजेंसियां इस पते और डॉ. परवेज से जुड़े दस्तावेजों की गहनता से जांच कर रही हैं।
कई विदेश यात्राएं, तीन बार पाकिस्तान गई
जांच एजेंसियों को डॉ. शाहीन की विदेश यात्राओं का विवरण भी मिला है। जानकारी के अनुसार, डॉ. शाहीन ने इन पासपोर्टों का उपयोग करते हुए तीन बार पाकिस्तान की यात्रा की है। इसके अतिरिक्त, उसने छह बार अन्य देशों की यात्रा भी की है। जांच में यह सामने आया है कि 2013 में कानपुर में नौकरी छोड़ने के बाद डॉ. शाहीन थाईलैंड गई थी।
उसका भाई डॉ. परवेज भी वर्ष 2021 से पहले तीन साल तक मालदीव में रहा था। जांच एजेंसियां इन दोनों की विदेश यात्राओं के दौरान उनकी गतिविधियों को लेकर जानकारी जुटा रही हैं।
शाहीन के बैंक खातों में 1.55 करोड़ का लेनदेन, विदेशी फंडिंग की आशंका
जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की सदस्य डॉ. शाहीन की जाँच में उनकी वित्तीय गतिविधियों को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं। पिछले सात वर्षों के दौरान डॉ. शाहीन के बैंक खातों में ₹1.55 करोड़ के भारी-भरकम लेन-देन का पता चला है।
जांच एजेंसियां अब इन पैसों के स्रोत की गहराई से जांच कर रही हैं। यह पड़ताल मुख्य रूप से इस संदेह पर केंद्रित है कि कहीं इस राशि में विदेशी फंडिंग तो शामिल नहीं है। पता चला है कि वर्ष 2014 में 9 लाख, 2015 में 6 लाख, 2016 में 11 लाख और 2017 में 19 लाख जैसे बड़े ट्रांजेक्शन किए गए थे।
डॉ. शाहीन के साथ ही पकड़े गए डॉ. आरिफ के भी तीन बैंक खाते मिले हैं, जिनकी लेन-देन की जानकारी भी खंगाली जा रही है।
स्लीपर सेल की जांच तेज और बच्चों से छिपाई जा रही मां की काली करतूत
डॉ. शाहीन और डॉ. आरिफ के आतंकी कनेक्शन उजागर होने के बाद, खुफिया एजेंसियां पूरे शहर में स्लीपर सेल के संभावित नेटवर्क का पता लगाने में सक्रिय हो गई हैं।
एजेंसियों का मानना है कि आतंकी संगठन युवाओं को धर्म के नाम पर बहकाकर उनका माइंड वॉश करते हैं, जिसके बाद ये युवा उनके संदेश को अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। कानपुर को एक संवेदनशील जिला मानते हुए, यहां पर स्लीपर सेल के सक्रिय होने की आशंका को देखते हुए खुफिया जानकारी जुटाई जा रही है।
दूसरी ओर, आतंकी घटना में शामिल डॉ. शाहीन के पूर्व पति, डॉ. जफर हयात, अपनी पूर्व पत्नी की करतूतों को उनके 18 और 15 वर्षीय बेटों से छिपाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।
बच्चों को उनकी मां के बारे में कोई जानकारी न मिले, इसके लिए उन्होंने बच्चों को कुछ दिनों के लिए स्कूल से छुट्टी दिला दी है और उन्हें सोशल मीडिया व टेलीविजन से भी दूर रखा है। बच्चों की परवरिश को लेकर तनाव के कारण डॉ. जफर हयात खुद भी बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी लेनी पड़ी।
