खुफिया एजेंसियों के रडार पर सहारनपुर: डॉ. आदिल संभालता था आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक-फाइनेंशियल टास्क!

डॉ. आदिल संभालता था आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक-फाइनेंशियल टास्क!
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इस खुलासे के बाद यूपी एसटीएफ और एटीएस ने सहारनपुर में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।

अनंतनाग का रहने वाला डॉ आदिल आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल चैनल संभाल रहा था, जिसकी निशानदेही पर 2900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है।

लखनऊ डेस्क : जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसके तार जम्मू-कश्मीर से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर तक फैले हुए हैं।

इस 'व्हाइट कॉलर' टेरर इकोसिस्टम में शामिल सहारनपुर से गिरफ्तार किए गए डॉ. आदिल अहमद राथर पर यह नेटवर्क चलाने का मुख्य आरोप है।

डॉ. आदिल की गिरफ्तारी और आतंकी साजिश का कनेक्शन

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का मूल निवासी डॉ. आदिल अहमद राथर सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में एमबीबीएस और एमडी चिकित्सक के रूप में काम कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी श्रीनगर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के समर्थन में पोस्टर लगाने के मामले में 6 नवंबर को सहारनपुर से हुई।

जांच एजेंसियों ने डॉ. आदिल की निशानदेही पर फरीदाबाद से एक और डॉक्टर, मुजम्मिल शकील गनई को गिरफ्तार किया, जिसके किराए के फ्लैट से 2900 किलो विस्फोटक सामग्री, हथियार और अन्य उपकरण बरामद किए गए।

जांच में खुलासा हुआ कि डॉ. आदिल ही इस आतंकी मॉड्यूल के लिए लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल चैनल संभाल रहा था। श्रीनगर में उसके लॉकर से एक एके-47 राइफल भी बरामद हुई थी, जो आतंकी मंसूबों की गंभीरता को दर्शाती है।

सहारनपुर आतंकियों के लिए क्यों बन रहा है मुफीद ठिकाना?

डॉ. आदिल की गिरफ्तारी ने एक बार फिर सहारनपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर ला दिया है।

यह शहर और आस-पास के इलाके, जैसे देवबंद, कई कारणों से आतंकियों और स्लीपर सेल के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनते जा रहे हैं।

सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी वाले कुछ इलाकों में बाहर के लोगों का आकर घुल-मिल जाना और पहचान छिपाना आसान होता है। घनी आबादी वाली और अविकसित कॉलोनियां बिना पुलिस वेरिफिकेशन के किराए पर रहने और गुप्त बैठकें करने के लिए 'सीक्रेट पॉइंट' का काम करती हैं, जैसा कि डॉ. आदिल के किराए के घर के मामले में संदेह जताया जा रहा है।

देवबंद जैसा कस्बा अपने बड़े धार्मिक शिक्षण संस्थानों के लिए जाना जाता है। सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि कुछ देश-विरोधी तत्व धार्मिक माहौल का फायदा उठाकर स्थानीय युवाओं को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। पहले भी यहां से अल-कायदा से जुड़े आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

डॉ. आदिल से पहले भी, यूपी एटीएस ने सहारनपुर से अल-कायदा के हैंडलर से संपर्क रखने वाले बिलाल खान सहित कई संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जो इस क्षेत्र में स्लीपर सेल की मौजूदगी की ओर इशारा करता है।

खुफिया एजेंसियों की बढ़ी सक्रियता

डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान स्थित हैंडलर पढ़े-लिखे 'व्हाइट कॉलर' प्रोफेशनलों का इस्तेमाल आतंकी नेटवर्क को फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने के लिए कर रहे हैं।

इस खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ और एटीएस ने सहारनपुर में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है, जो डॉ. आदिल के संपर्क में थे।

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