गर्व का क्षण: यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हुई 'दीपावली'!

यह भारतीय संस्कृति की जीवंतता को भी सिद्ध करता है।
लखनऊ : यूनेस्को ने भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कर लिया है। इस वैश्विक मान्यता पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे देश के लिए अत्यंत गर्व का विषय बताया है।
यह समावेश न केवल त्योहार के महत्व को रेखांकित करता है बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है।
मुख्यमंत्री ने बताया सांस्कृतिक शक्ति का प्रमाण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूनेस्को की इस घोषणा को अयोध्या की सांस्कृतिक शक्ति का प्रमाण बताया है। उन्होंने कहा कि दीपावली की यह वैश्विक मान्यता दर्शाती है कि अयोध्या, जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि है, सदियों से भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का केंद्र रही है।
मुख्यमंत्री ने स्मरण दिलाया कि राम की नगरी अयोध्या में सबसे पहले दीपावली मनाई गई थी, जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके लौटे थे, और तब से यह प्रकाश पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक बन गया है।
उन्होंने कामना की कि अयोध्या का शाश्वत प्रकाश पूरी मानवता को सत्य और सद्भाव की ओर मार्गदर्शन करता रहे। मुख्यमंत्री ने इस समावेशन पर दोबारा जोर देते हुए कहा कि यह वास्तव में देश के लिए गर्व की बात है।
अमूर्त विरासत सूची और दीपावली का महत्व
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में किसी तत्व को शामिल करने का उद्देश्य विश्व भर की सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा और जागरूकता बढ़ाना होता है। दीपावली, जिसे 'प्रकाश का त्योहार' भी कहा जाता है, पांच दिनों तक मनाया जाता है और यह केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का भी प्रतीक है।
इस दौरान घरों की सफाई, रंगोली बनाना, दीये जलाना, लक्ष्मी पूजा करना, और मिठाइयाँ बाँटना एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होने वाली परंपराएं हैं।
इसका समावेश यह सुनिश्चित करेगा कि इस त्योहार के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिले और उनका संरक्षण किया जा सके। यह भारतीय संस्कृति की जीवंतता को भी सिद्ध करता है।
दीपावली की वैश्विक पहचान और प्रभाव
दीपावली अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी उत्साह और उल्लास के साथ मनाई जाती है, जहां भारतीय समुदाय निवास करते हैं
यूनेस्को की सूची में शामिल होने के बाद, इस पर्व को एक महत्वपूर्ण वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में और अधिक पहचान मिलेगी। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के सॉफ्ट पावर को मजबूत करेगा और दुनिया के लोगों को भारतीय परंपराओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित करेगा।
यह समावेशन भारत के उन सभी शिल्पकारों, पुजारियों और समुदायों के प्रयासों को भी सम्मान देता है जो सदियों से इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री के शब्दों में, यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, और अब यह विजय वैश्विक स्तर पर स्वीकार की गई है।
