ज्ञानवापी विवाद: 29 अक्टूबर को सील वजूखाने का मौका मुआयना करेंगे जिला जज! पढ़िए इनसाइड स्टोरी

वजूखाना परिसर का वह क्षेत्र है, जिसे मई 2022 में कोर्ट के आदेश पर सील किया गया था।
वाराणसी : वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के सील किए गए वजूखाने से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लिया है। सीलिंग के लिए इस्तेमाल किए गए कपड़े और सील को बदलने के मामले में जिला जज स्वयं मौका-मुआयना करेंगे। 29 अक्टूबर को सुबह 9 बजे जिला जज, दोनों ही पक्षों (हिंदू और मुस्लिम) के प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वजूखाने का निरीक्षण करेंगे।
यह फैसला इस उद्देश्य से लिया गया है कि सील के कपड़े के खराब होने की आशंका को देखते हुए,और सुरक्षा बनी रहे। मौके पर मुआयना करने के बाद यह तय किया जाएगा कि ताले पर लगे कपड़े और सील को बदला जाना है या नहीं। इस विषय पर अंतिम निर्णय वाराणसी के जिला अधिकारी लेंगे।
वजूखाना सीलिंग और विवाद
वजूखाना परिसर का वह क्षेत्र है, जिसे मई 2022 में कोर्ट के आदेश पर सील किया गया था। यह कार्रवाई हिंदू पक्ष के उस दावे के बाद हुई थी, जिसमें परिसर के सर्वेक्षण के दौरान वहाँ 'शिवलिंग' जैसी आकृति मिलने की बात कही गई थी। मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र को संरक्षित और सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। हाल ही में, यह मुद्दा फिर उठा जब यह सामने आया कि सील किए गए ताले पर लगे कपड़े और सील ख़राब हो सकते हैं, जिससे उस क्षेत्र की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो सकता है। इसी वजह से कपड़े और सील को बदलने की मांग उठी है, जिस पर फैसला लेने के लिए जिला जज ने खुद मुआयना करने का निर्णय लिया है।
विवादित परिसर का एएसआई सर्वे
वजूखाने के सील क्षेत्र को छोड़कर, ज्ञानवापी परिसर के अन्य हिस्सों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वैज्ञानिक सर्वे किया गया है। यह सर्वे वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश पर 2023 में किया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के ढांचे पर किया गया था। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट जिला जज को सौंप दी गई है और यह रिपोर्ट हिंदू पक्ष के दावों को बल देती है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष इस रिपोर्ट की वैधता पर सवाल उठाता रहा है।
ज्ञानवापी विवाद की कानूनी पृष्ठभूमि
ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा यह विवाद सदियों पुराना है, लेकिन कानूनी लड़ाई 1936 में दीन मोहम्मद बनाम राज्य सचिव मुकदमे से शुरू हुई। इसके बाद, 1991 में भगवान विश्वेश्वर की ओर से पहला आधुनिक मुकदमा दायर किया गया, जिसमें पूजा की अनुमति मांगी गई थी।
इस मामले ने 2021-2022 में तब तेज़ी पकड़ी जब श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर याचिका दाखिल हुई और कोर्ट के आदेश पर परिसर का सर्वे हुआ, जिसके बाद वजूखाना सील कर दिया गया। ये पूरा विवाद काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के धार्मिक स्वरूप और संपत्ति के स्वामित्व को लेकर है, जिसकी सुनवाई वाराणसी की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चल रही है।
