30 साल बाद दीपों से जगमगाएगा संभल: कल्कि नगरी' के यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप का हुआ सांस्कृतिक पुनर्जीवन

कल्कि नगरी के यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप का हुआ सांस्कृतिक पुनर्जीवन
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यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप को रोशनी और रंग-बिरंगी झालरों से भव्य रूप से सजाया जायेगा।

यह आयोजन सिर्फ एक पर्व का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह शहर की खोई हुई धार्मिक और सामुदायिक परंपरा की वापसी का प्रतीक है।

संभल : उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक कल्कि नगरी संभल में इस बार की दीपावली धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद खास होने वाली है। लगभग तीन दशकों के लंबे इंतजार के बाद, उपेक्षित पड़े प्राचीन देवतीर्थ यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप एक बार फिर से रोशनी और भक्ति की आभा से जीवंत हो उठे हैं। उपेक्षा के कारण वर्षों से बंद पड़ी दीपोत्सव की यह परंपरा इस साल नगर पालिका के प्रयासों से फिर से शुरू हो रही है, जिससे शहर में उत्सव का माहौल है। यह महज दो धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार नहीं, बल्कि संभल की 30 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत का पुनर्जागरण है। यह ऐतिहासिक क्षण शहरवासियों को एक बार फिर अपनी समृद्ध परंपरा से जुड़ने का अवसर प्रदान कर रहा है।

उपेक्षा से जीर्णोद्धार तक-'वंदन योजना' ने भरी नई जान

संभल के ये दोनों प्राचीन तीर्थ, यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप, दशकों से स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र रहे हैं। लोगों का कहना है कि करीब तीन दशक पहले तक, दीपावली की शाम को घर की पूजा से पहले शहरवासी इन तीर्थों पर दीपक जलाने जरूर आते थे। यह एक अनिवार्य धार्मिक अनुष्ठान था और हर दीपावली पर यह परंपरा निभाई जाती थी। हालांकि, समय के साथ इन पवित्र स्थलों की उपेक्षा होती गई। रखरखाव के अभाव और शहर की बिगड़ती जल निकासी व्यवस्था के कारण इन स्थानों पर पानी भरना शुरू हो गया। जलभराव की समस्या इतनी बढ़ गई कि धीरे-धीरे यहां सभी धार्मिक आयोजन पूरी तरह बंद हो गए। लगभग 30 साल तक ये स्थल अंधेरे और गंदगी के बीच गुमनामी में रहे, जिससे शहर की एक महत्वपूर्ण धार्मिक कड़ी टूट गई थी।

स्थानीय प्रशासन ने अब इन ऐतिहासिक स्थलों की खोज और पुनर्स्थापना के काम को गति दी है। यह प्रयास प्रशासन द्वारा नवंबर 2024 की हिंसा के बाद शांति बहाली के प्रयासों के साथ ही शुरू हुआ, जिसके तहत प्राचीन देवतीर्थों को पुनर्जीवित करने का काम भी गति पकड़ गया। शासन की महत्वाकांक्षी 'वंदन योजना' के तहत यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप का न केवल जीर्णोद्धार किया जा रहा है, बल्कि उनका भव्य सुंदरीकरण भी किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित कर उन्हें फिर से आस्था और पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करना है।

दीपों की भव्य जगमगाहट और पालिका की तैयारी

इस साल दीपावली को लेकर नगर पालिका ने दोनों तीर्थों को शानदार ढंग से तैयार किया है। यमतीर्थ और चतुर्मुख कूप को आधुनिक रोशनी और रंग-बिरंगी झालरों से भव्य रूप से सजाया गया है। चतुर्मुख कूप और यमतीर्थ को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। इसके अलावा वहां साफ-सफाई कराई है, जिससे दीपावली पर्व पर लोग यहां दीपक जलाकर पूजन कर सकें। यह सुनिश्चित किया गया है कि 30 वर्षों के अंतराल के बाद जब शहरवासी यहा पहुंचें, तो वे एक पवित्र और भव्य वातावरण में अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकें।

इस दीपोत्सव में केवल सरकारी पहल ही नहीं, बल्कि आम शहरवासियों की भागीदारी भी है। दीपावली की शाम को, लोग अपने घरों से एक दीया लाकर इन पवित्र तीर्थों पर जलाएंगे। मिट्टी के इन दीपों और रंग-बिरंगी लाइटों की श्रृंखला से यहा की पवित्रता और सांस्कृतिक आभा पुनर्जीवित होगी, जो पूरे संभल को एक नई पहचान देगी। इन मुख्य तीर्थों के अलावा, जामा मस्जिद के सामने स्थित सत्यव्रत पुलिस चौकी और पालिका भवन को भी रंगीन रोशनियों से सजाया गया है, जिससे पूरे शहर में एक समान और समावेशी उत्सव का माहौल बन गया है।

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