सनातन एकता पदयात्रा: कृष्ण जन्मभूमि' आंदोलन को मिलेगी नई धार; 13 नवंबर को मथुरा में धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री

सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' का 16 नवंबर को बांकेबिहारी मंदिर,में धर्म ध्वजा चढ़ाने के साथ समापन होगा।
मथुरा : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिल्ली के छतरपुर मंदिर से 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' का शुभारंभ कर दिया है, जिसका मुख्य केंद्र बिंदु उत्तर प्रदेश का ब्रज क्षेत्र और मथुरा है।
दस दिवसीय (7 नवंबर से 16 नवंबर) यह यात्रा लगभग 170 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और इसका मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म की एकता को मजबूत करना तथा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के आंदोलन को नई गति प्रदान करना है।
एजेंडा में सबसे ऊपर 'कृष्ण जन्मभूमि' का भव्य निर्माण
धीरेंद्र शास्त्री की इस पदयात्रा के एजेंडे में मथुरा स्थित भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर दिव्य और भव्य मंदिर का निर्माण प्रमुख मुद्दे के रूप में शामिल है। पदयात्रा के समर्थक यह नारा बुलंद कर रहे हैं कि 'काशी-अयोध्या के बाद अब मथुरा की बारी है'।
यह यात्रा कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन को एक मजबूत वैचारिक धार देने का काम करेगी। धीरेंद्र शास्त्री का स्पष्ट मत है कि हिंदू राष्ट्र के निर्माण और सनातन की रक्षा के लिए सभी सनातनियों को जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा।
13 नवंबर को उत्तर प्रदेश में पदयात्रा का प्रवेश
दिल्ली से शुरू हुई यह पदयात्रा कई राज्यों से होते हुए 13 नवंबर को उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। यह यात्रा आगरा-दिल्ली हाईवे पर स्थित कोटवन सीमा से मथुरा जिले की सीमा में दाखिल होगी। उत्तर प्रदेश के भीतर, यह यात्रा 16 नवंबर तक जारी रहेगी।
इस दौरान पदयात्रा दैनिक रूप से 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, जिसमें भजन-कीर्तन और धार्मिक व्याख्यान शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश में इस यात्रा को लेकर साधु-संतों और श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
ब्रज क्षेत्र के लिए निर्धारित किए गए विशेष लक्ष्य
यह पदयात्रा केवल आध्यात्मिक या मंदिर निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से ब्रज क्षेत्र की समस्याओं को भी उजागर किया जाएगा। धीरेंद्र शास्त्री ने ब्रज क्षेत्र के लिए कुछ विशेष संकल्प तय किए हैं:-
कान्हा की जीवनरेखा कालिंदी (यमुना) को स्वच्छ और सुंदर बनाना।
पूरे ब्रज क्षेत्र को मांस-मदिरा की बिक्री से मुक्त कराना।
धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रगीत का वादन सुनिश्चित करना।
10 दिन और 170 किलोमीटर का आध्यात्मिक पथ
'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' कुल मिलाकर 10 दिन तक चलेगी और 16 नवंबर को ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन में धर्म ध्वजा चढ़ाने के साथ इसका विधिवत समापन होगा। यात्रा की कुल दूरी लगभग 170 किलोमीटर बताई गई है। यह एक आध्यात्मिक पदयात्रा है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य धार्मिक जागृति लाना और जातिवाद जैसी बुराइयों को समाप्त कर हिंदुओं को एक सूत्र में पिरोना है।
इस विशाल आयोजन को संत समाज के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता इस पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यात्रा में शामिल होने के लिए देश भर से लगभग 40,000 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है।
