केसरिया सैलाब में डूबा ब्रजधाम: 170 किमी की सनातन एकता पदयात्रा पूरी, आज वृंदावन में हिंदू राष्ट्र के समर्थन में जुटेंगे संत!

पदयात्रा के समापन समारोह में देश भर के संतों, महंतों और प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रहेगी।
मथुरा : मथुरा और वृंदावन की पावन भूमि पर हाल के वर्षों का सबसे बड़ा धार्मिक और सामाजिक जन-उभार देखने को मिला है। दिल्ली के छतरपुर मंदिर से शुरू हुई 10 दिवसीय ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ ने 170 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 16 नवंबर को ब्रजधाम वृंदावन में अपना ऐतिहासिक समापन होगा ।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में हुई इस यात्रा ने पूरे रास्ते लाखों श्रद्धालुओं को केसरिया रंग में रंग दिया। यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह ‘एकता, समरसता और हिंदू राष्ट्र’ के 7 बड़े संकल्पों को जन-जन तक पहुंचाने का एक शक्तिशाली उद्घोष बन गई है।
170 किमी. की यात्रा, करोड़ों का जनसमर्थन- उद्देश्य और नेतृत्व
पदयात्रा का मुख्य लक्ष्य हिंदू समाज में एकता, समरसता और सनातन धर्म के प्रति गौरव को बढ़ावा देना था। इस दौरान यात्रा मार्ग में पड़ने वाले हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कस्बों और शहरों में लाखों की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा की और केसरिया ध्वज लहराए, जिसने पूरे क्षेत्र को भक्ति और राष्ट्रीयता के रंग में रंग दिया।
यह पदयात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह अखंड भारत और हिंदू राष्ट्र की वैचारिक नींव को मजबूत करने का एक ज़ोरदार प्रयास रही।
हिंदू राष्ट्र सहित 7 बड़े संकल्पों पर फोकस
पदयात्रा का मूल सार धीरेंद्र शास्त्री द्वारा दिए गए 7 बड़े संकल्पों में निहित था। इन संकल्पों ने इस आयोजन को एक स्पष्ट सामाजिक और राजनीतिक एजेंडा दिया। सबसे प्रमुख संकल्प 'भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कराना' रहा।
अन्य मांगों में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर दिव्य मंदिर निर्माण की मांग, यमुना नदी की सफाई और पुनरुद्धार, गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा, ब्रज क्षेत्र को मांस-मदिरा मुक्त क्षेत्र घोषित करना, और धर्मांतरण व लव जिहाद पर रोक लगाना शामिल थे। इन संकल्पों के माध्यम से आयोजकों ने न केवल धार्मिक बल्कि पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों को भी छुआ, जिससे यह यात्रा व्यापक जन-सरोकार से जुड़ी।
वृंदावन में भव्य समापन
पदयात्रा का अंतिम पड़ाव और समापन समारोह वृंदावन में आयोजित होगा , जो कि देश भर के संतों, महंतों और प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति का गवाह बनेगा। लाखों श्रद्धालु वृंदावन की सड़कों पर एकत्रित हुए। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन ने व्यापक रूट डायवर्जन प्लान लागू किया और चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया।
इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि हिंदू राष्ट्र की मांग कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति को उसकी पूर्ण गरिमा वापस दिलाने की माँग है। इस आयोजन ने वृंदावन की धार्मिक महत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर एक नया आयाम दिया।
इस यात्रा का प्रभाव केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं रहा। सामाजिक समरसता के संदेश को भी मजबूती से आगे बढ़ाया, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए।
यात्रा ने दिखाया कि बड़े धार्मिक आयोजनों को किस तरह से सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों से जोड़ा जा सकता है। यह पदयात्रा देश के विभिन्न हिस्सों में सनातन धर्म के अनुयायियों को एक मंच पर लाने में सफल रही।
