दिल्ली ब्लास्ट: कश्मीरी डॉक्टरों के बाद अब देवबंद और मीट फैक्ट्रियों का संदिग्ध गठजोड़ ATS के रडार पर

दिल्ली ब्लास्ट के कश्मीर कनेक्शन के बीच, जांच एजेंसियों के रडार पर अब प्रदेश की मीट फैक्ट्रियां हैं।
लखनऊ : दिल्ली में हुए विस्फोट की जांच में अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद और अन्य शहरों के कनेक्शन सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। यूपी एंटी एटीएस न केवल गिरफ्तार संदिग्धों के जैश-ए-मोहम्मद से संबंधों की जांच कर रही है, बल्कि प्रदेश की मीट फैक्ट्रियों में कश्मीरी मूल की निजी सिक्योरिटी एजेंसियों को काम दिलाने के पूरे नेक्सस की भी गहराई से छानबीन कर रही है।
यह पूरा मामला आतंकी फंडिंग और कट्टरपंथी संगठनों को मदद देने के संदेह के इर्द-गिर्द घूम रहा है, जिसके तार कई संवेदनशील जगहों से जुड़ते दिख रहे हैं।
कश्मीरी डॉक्टरों और मौलवी पर शिकंजा
यूपी एटीएस ने हाल ही में फरीदाबाद से पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से जुड़े डॉ. आदिल अहमद से संबंध होने के शक में सहारनपुर, देवबंद और शामली जिलों में काम कर रहे पांच कश्मीरी डॉक्टरों से गहन पूछताछ की है। इस जांच में कश्मीर के एक मौलवी इरफान अहमद वागे का नाम भी सामने आया है, जो कथित तौर पर देवबंद से मुफ्ती बनकर निकला था।
मौलवी इरफान पर कश्मीर में डी-रेडिकलाइजेशन की आड़ में युवाओं को कट्टरपंथी जिहादी मानसिकता से जोड़ने और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए प्रेरित करने का गंभीर आरोप है। सुरक्षा एजेंसियां अब इन सभी कश्मीरी लिंक की भूमिका को खंगाल रही हैं।
टेलीग्राम ग्रुप्स और कट्टरपंथी लिंक का खुलासा
यह जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार डॉक्टरों का मॉड्यूल कथित तौर पर कुछ टेलीग्राम ग्रुप्स के माध्यम से सक्रिय था, जिनमें "फरज़न्दान-ए-दारुल उलूम (देवबंद)" जैसे नाम शामिल हैं। इन डिजिटल ग्रुपो का इस्तेमाल जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेटर द्वारा पश्चिमी यूपी के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार करने में किया जा रहा था।
सुरक्षा एजेंसियां इस डिजिटल माध्यम से कट्टरपंथ के प्रसार की पूरी श्रृंखला की जांच कर रही हैं, ताकि इस नेक्सस से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके और इसे जड़ से खत्म किया जा सके।
मीट फैक्ट्रियों में कश्मीरी कंपनियों को काम दिलाने का शक
दिल्ली विस्फोट के कश्मीर कनेक्शन के बीच, जांच एजेंसियों के रडार पर अब प्रदेश की मीट फैक्ट्रियां आ गई हैं। इनपुट मिले हैं कि इन फैक्ट्रियों में कश्मीर मूल की निजी सिक्योरिटी एजेंसियां काम कर रही हैं, और इसके माध्यम से कश्मीर को अवैध तरीके से फंडिंग की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इन कश्मीरी मूल की सिक्योरिटी एजेंसियों को काम दिलाने का अनुबंध सहारनपुर की देवबंद स्थित एक कट्टरपंथी संस्था के इशारे पर दिया गया था। एजेंसियों को शक है कि यह फंडिंग किसी बड़े राष्ट्र-विरोधी नेक्सस का हिस्सा हो सकती है।
फंडिंग और आतंकी नेक्सस पर एटीएस की गहन जांच
एटीएस इस बात की विस्तृत जांच कर रही है कि कश्मीरी सिक्योरिटी एजेंसियों को काम किस आधार पर दिया गया और क्या इसके पीछे आतंकी फंडिंग या राष्ट्र-विरोधी गतिविधि का कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था।
तीन साल पहले आयकर विभाग की छापेमारी में कुछ मीट कंपनियों के खातों से निकाले गए 1200 करोड़ रुपये का कोई स्पष्ट विवरण नहीं मिला था, जिसके बाद यह आशंका जताई गई थी कि इस रकम का इस्तेमाल कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों को फंडिंग में हो सकता है।
डॉ. आदिल और अन्य संदिग्धों के दुबई कनेक्शन और वाहनों के लिंक की भी गहनता से जांच की जा रही है ताकि पूरे नेक्सस की परतें खोली जा सकें और उसे ध्वस्त किया जा सके।
