सावधान: यूपी में 'SIR' के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड, बीएलओ बनकर मांगा जा रहा OTP; चुनाव आयोग ने किया सचेत

चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि SIR प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के OTP, लिंक या किसी ऐप को इंस्टॉल करने का कोई प्रावधान नहीं है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बीच साइबर ठगों ने धोखाधड़ी का एक नया तरीका ढूंढ लिया है। वे बूथ लेवल अधिकारी या निर्वाचन विभाग का प्रतिनिधि बनकर मतदाताओं को फोन कर रहे हैं और 'SIR फॉर्म भरने' के बहाने उनके मोबाइल पर आया वन-टाइम पासवर्ड मांग रहे हैं।
इस फर्जीवाड़े की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य के सभी मतदाताओं के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इस प्रक्रिया में OTP की कोई आवश्यकता नहीं है।
साइबर ठगी का नया पैटर्न - बीएलओ के नाम पर ओटीपी और फेक 'SIR.apk' फाइल
साइबर अपराधी इन दिनों राज्य में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान का फायदा उठा रहे हैं। ठग मतदाताओं को कॉल करके खुद को बीएलओ या निर्वाचन विभाग का कर्मचारी बताते हैं और कहते हैं कि उनके गणना प्रपत्र को अंतिम रूप देने या सत्यापित करने के लिए एक ओटीपी आया है, जिसे उन्हें बताना होगा।
कुछ मामलों में, ये जालसाज मतदाताओं को 'SIR.apk' जैसी एपीके फाइल भी भेज रहे हैं। मतदाताओं को धमकाया जाता है कि अगर उन्होंने ओटीपी साझा नहीं किया तो उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। डर के मारे कई लोग ओटीपी साझा कर देते हैं, जिसके तुरंत बाद उनके बैंक या यूपीआई खातों से पैसे निकाल लिए जाते हैं।
यह गतिविधि मतदाताओं की संवेदनशील जानकारी चुराने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के उद्देश्य से की जा रही है।
निर्वाचन आयोग का स्पष्ट निर्देश,- SIR में ओटीपी का कोई प्रावधान नहीं
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने इन शिकायतों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के तहत गणना प्रपत्र भरने या मतदाता सूची सत्यापन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के वन-टाइम पासवर्ड, लिंक या किसी ऐप को इंस्टॉल करने का कोई प्रावधान नहीं है।
बीएलओ मतदाताओं के घर-घर जाकर गणना प्रपत्रों का वितरण और संग्रह कर रहे हैं, तथा उन्हें भरने में सहयोग कर रहे हैं। यदि कोई भी व्यक्ति फोन कॉल, मैसेज या अन्य माध्यम से ओटीपी या कोई गोपनीय जानकारी मांगता है, तो वह पूरी तरह से संदिग्ध और धोखाधड़ी का प्रयास है।
निर्वाचन आयोग ने सभी मतदाताओं से इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने और केवल अपने स्थानीय बीएलओ से ही संपर्क करने की अपील की है।
मतदाताओं के लिए सुरक्षा और तत्काल बचाव के उपाय
साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए मतदाताओं को अत्यधिक सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है। सबसे पहले, निर्वाचन आयोग के किसी भी कर्मचारी या बीएलओ को SIR प्रक्रिया के नाम पर अपना ओटीपी कभी भी साझा न करें।
यदि आपको ऐसी कोई संदिग्ध कॉल आती है, तो उसे तुरंत अस्वीकार कर दें और उस पर विश्वास न करें। किसी भी अज्ञात या संदिग्ध लिंक या 'SIR.apk' जैसी फाइल को अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल न करें। अगर आपके साथ धोखाधड़ी का प्रयास होता है, तो तुरंत इसकी शिकायत पुलिस या नजदीकी साइबर क्राइम सेल में करें।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे इस धोखाधड़ी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर जन-जागरूकता अभियान चलाएं और ऐसी शिकायतों पर संबंधित एजेंसी के माध्यम से कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
