विरासत में गद्दी मिलती है बुद्धि नहीं: सीएम योगी ने अखिलेश को घेरा, बोले- उन्हें राम, देवी-देवताओं और कुम्हारों से नफरत!

योगी ने अपनी सरकार की योग्यता-आधारित राजनीति को वंशवादी राजनीति के विपरीत बताया।
लखनऊ डेस्क : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दीपोत्सव खर्च पर दिए गए बयान पर सीधा और तीखा पलटवार किया है। अखिलेश ने सुझाव दिया था कि दीयों और मोमबत्तियों पर बार-बार खर्च करने के बजाय क्रिसमस जैसी स्थायी लाइटिंग की व्यवस्था करनी चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम योगी ने कटाक्ष किया कि "गद्दी विरासत में मिल सकती है, बुद्धि नहीं।" उन्होंने कहा कि राजनीतिक पद तो विरासत में मिल जाता है, लेकिन शासन करने की योग्यता और विवेक खुद के प्रयासों से अर्जित करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने अखिलेश की टिप्पणी को "बचकाना" और अपरिपक्व बताया, जो उनकी राजनीतिक समझ की कमी को दर्शाता है।
कुम्हारों के अपमान और सनातन विरोधी सोच का आरोप
सीएम योगी ने अखिलेश यादव पर सनातन धर्म विरोधी होने और दीया बनाने वाले प्रजापति (कुम्हार) समुदाय का अपमान करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश ने कभी इस समुदाय की पीड़ा को समझा होता, तो वे इतना गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देते। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि दीपोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह करोड़ों कुम्हारों और किसानों को रोजगार और आर्थिक स्वावलंबन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि दीये का विरोध करना यानी किसानों और कारीगरों के श्रम का विरोध करना है। योगी ने आरोप लगाया कि अखिलेश को भगवान श्रीराम, देवी-देवताओं और यहां तक कि दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों से नफरत है। उन्होंने कहा कि उनकी यह नफरत तुष्टिकरण की राजनीति और हिंदू आस्था के विरोध पर आधारित है, जिसके कारण वह देश की सांस्कृतिक पहचान का विरोध करते हैं।
वंशवाद बनाम योग्यता की बहस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर वंशवाद बनाम योग्यता की बहस को हवा देता है। योगी ने यह कहकर कि बुद्धि विरासत में नहीं मिलती, सीधे तौर पर अखिलेश यादव की राजनीतिक विरासत पर सवाल उठाया। उन्होंने जोर दिया कि सफल प्रशासक बनने के लिए सही विवेक, अनुभव और जनता की समस्याओं को गहराई से समझने की क्षमता आवश्यक है। योगी ने अपनी सरकार की योग्यता-आधारित राजनीति को वंशवादी राजनीति के विपरीत बताते हुए कहा कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी केवल विरासत के दम पर सत्ता चाहती है, जबकि राज्य चलाने के लिए आवश्यक बुद्धिमत्ता और गंभीरता का उनमें अभाव है।
