Diwali Bonus: दीपावली पर सीएम योगी का कुम्हारों को बड़ा तोहफा- अब बिना आवेदन मिलेगा मिट्टी के लिए जमीन का पट्टा

शासनादेश में चकबंदी मैनुअल के पैरा 178 के प्रावधानों को आधार बनाया गया है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के पर्व पर कुम्हार समुदाय और पारंपरिक माटी कला को समर्पित कारीगरों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि माटी कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए बिना किसी आवेदन के ही जमीन या तालाब का पट्टा उपलब्ध कराया जाएगा। यह फैसला कारीगरों की सबसे बड़ी समस्या, यानी मिट्टी की किल्लत, को दूर करने वाला साबित होगा, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस महत्वपूर्ण शासनादेश को जारी कर दिया गया है और यह प्रदेश के सभी गांवों में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
इस पूरी योजना को धरातल पर उतारने में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग विभाग (MSME) जिसके अंतर्गत माटी कला बोर्ड आता है, के निदेशक शिशिर सिंह का अथक प्रयास रहा है, जिन्होंने लगातार पैरवी करके इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दिलवाई। यह पहल माटी कला को पुनर्जीवित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
परंपरागत माटी कला को संरक्षण और प्रोत्साहन देने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। प्रदेश सरकार ने कुम्हारों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि मिट्टी की कमी अब उनके व्यवसाय में बाधा नहीं बनेगी। इस पूरे प्रस्ताव को तैयार करने और उसे मंत्रिमंडल से मंजूरी दिलाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) विभाग के निदेशक शिशिर सिंह की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। माटी कला बोर्ड MSME विभाग के अंतर्गत ही आता है, और शिशिर सिंह ने कुम्हारों के हितों को समझते हुए, इस योजना की रूपरेखा तैयार करने और इसके तकनीकी पहलुओं को मजबूती से प्रस्तुत करने में व्यक्तिगत रुचि ली।
गौरतलब है कि पिछली सरकारों में माटी कला से जुड़े कारीगरों को मिट्टी के पट्टे के लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जिसमें अक्सर उन्हें सफलता नहीं मिलती थी। लेकिन शिशिर सिंह ने माटी कला बोर्ड के योजना अधिकारी एलके नाग के साथ मिलकर, कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करते हुए एक ऐसा सरल प्रस्ताव तैयार किया, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप था। उनके अथक प्रयासों और लगातार फॉलो-अप के कारण ही, यह प्रस्ताव नौ अक्टूबर को अंतिम रूप से अनुमोदित हुआ और अब यह लाखों कुम्हारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा। सरकार का मानना है कि इस पहल से केवल कुम्हारों को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश' के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।
बिना आवेदन पट्टा- शासनादेश की मुख्य विशेषताएं और प्रावधान
प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि कुम्हारों को किस आधार पर जमीन या तालाब का पट्टा आवंटित किया जाएगा। प्रमुख सचिव रणवीर प्रसाद की ओर से जारी इस शासनादेश को सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजा गया है। शासनादेश में चकबंदी मैनुअल के पैरा 178 के प्रावधानों को आधार बनाया गया है। आदेश के तहत, जिस गांव में माटी कला को आगे बढ़ाने वाले कारीगरों की संख्या बहुत कम है, या अगर केवल एक ही कुम्हार ऐसा है जो इस कला को संजोए रखने का काम कर रहा हो, तो भी उसे मिट्टी के लिए भूमि अवश्य सुरक्षित की जाएगी।
सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि इन कारीगरों को इसके लिए किसी तरह का आवेदन या प्रस्ताव देने की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन स्वयं ऐसे कारीगरों की पहचान करेगा और उन्हें मिट्टी खोदाई के लिए जमीन का पट्टा आवंटित करेगा। माटी कला बोर्ड के योजना अधिकारी एलके नाग ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले वर्ष भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद, यह व्यवस्था प्रदेश के सभी 822 ब्लॉकों के 97,941 गांवों में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। यह नियम न केवल कुम्हारों को मिट्टी की किल्लत से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि परंपरागत कलाएं किसी भी हाल में विलुप्त न हों और उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जा सके।
माटी कला के कारीगरों को दीपावली का उपहार और आर्थिक मजबूती
दीपावली के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह तोहफा कुम्हार समुदाय के लिए सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि सम्मान और आर्थिक संबल का प्रतीक है। मिट्टी के बिना कुम्हारों का काम असंभव है, और अब उन्हें मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित होने से वे साल भर बिना किसी रुकावट के काम कर सकेंगे। इससे उनके उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी और बाजार में मिट्टी के दीयों और अन्य कलाकृतियों की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
माटी कला बोर्ड का गठन और अब यह नई पट्टा नीति, दोनों ही ग्रामीण और परंपरागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। मिट्टी की किल्लत दूर होने के बाद, इन कारीगरों का ध्यान अब अपनी कला और उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने पर केंद्रित होगा, जिससे उनकी आय में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
