बलिया SGRY घोटाला: CBI कोर्ट ने DRDA के तत्कालीन अधिकारी समेत तीन को सुनाई 5 साल की सजा!

CBI कोर्ट ने DRDA के तत्कालीन अधिकारी समेत तीन को सुनाई 5 साल की सजा!
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बलिया का यह खाद्यान्न घोटाला उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता रहा है।

2008 में सीबीआई द्वारा केस दर्ज करने से लेकर दिसंबर 2025 में सजा सुनाए जाने तक, कानूनी प्रक्रिया में करीब 17 साल का समय लगा।

बलिया : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में लगभग दो दशक पहले हुए 'संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना' (SGRY) घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।

लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने डीआरडीए बलिया के तत्कालीन मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी सत्येंद्र सिंह गंगवार सहित तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5-5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

यह मामला सरकारी धन के दुरुपयोग, फर्जी दस्तावेजों के सहारे भुगतान और ग्रामीण विकास के लिए आवंटित अनाज की हेराफेरी से जुड़ा है, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था।

घोटाले की पृष्ठभूमि और योजना का दुरुपयोग

यह मामला साल 2004-2006 के बीच का है, जब बलिया जिले में केंद्र सरकार की 'संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना' (SGRY) लागू थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना और उन्हें मजदूरी के बदले अनाज व नकद राशि देना था।

जांच में पाया गया कि बलिया के तत्कालीन अधिकारियों ने ग्राम प्रधानों और कोटेदारों के साथ मिलकर कागजों पर फर्जी विकास कार्य दिखाए। उपस्थिति रजिस्टर में फर्जी मजदूरों के नाम भरे गए और विकास कार्यों के नाम पर आवंटित करोड़ों रुपये की नगदी और खाद्यान्न को अवैध तरीके से हड़प लिया गया।

सीबीआई जांच और अदालत की कार्यवाही

शुरुआत में इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की गई थी, लेकिन घोटाले की गंभीरता और व्यापकता को देखते हुए 2008 में उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

सीबीआई ने अपनी तफ्तीश में पाया कि तत्कालीन CFAO सत्येंद्र सिंह गंगवार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियमों को ताक पर रखकर भुगतान जारी किए थे। इस मामले में सीबीआई ने कुल 135 से अधिक लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

लंबी कानूनी प्रक्रिया और गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत ने माना कि यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें सरकारी धन का बंदरबांट किया गया।

सजा का विवरण और जुर्माना

लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को अपना फैसला सुनाते हुए तत्कालीन CFAO सत्येंद्र सिंह गंगवार, तत्कालीन कनिष्ठ लेखा लिपिक अशोक कुमार उपाध्याय और एक निजी व्यक्ति रघुनाथ यादव को दोषी ठहराया।

कोर्ट ने इन तीनों को 5-5 साल की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड भी लगाया है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सार्वजनिक धन की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारियों द्वारा इस तरह का भ्रष्टाचार न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज के सबसे गरीब तबके के साथ विश्वासघात भी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा संदेश

बलिया का यह खाद्यान्न घोटाला उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता रहा है। इस फैसले से उन भ्रष्ट अधिकारियों और बिचौलियों को एक कड़ा संदेश गया है जो सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचने से पहले ही हड़प लेते हैं।

क्रॉस-वेरिफिकेशन के दौरान यह भी सामने आया है कि इसी योजना से जुड़े अन्य मामलों में हाल ही में कुछ अन्य ग्राम प्रधानों और कोटेदारों को भी 10-10 साल की सजा सुनाई गई है।

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