मिशन 2027: विधानसभा चुनाव में भाजपा की ‘विजय हैट्रिक’ की रणनीति तैयार, हर गांव-गली तक पहुंचने का मेगा प्लान

भाजपा ने 2027 के लिए अपनी हारी और जीती हुई सीटों का बारीक विश्लेषण कर उन्हें अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्ता की 'विजय हैट्रिक' लगाने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है। पार्टी ने अपनी रणनीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है, जिसके तहत प्रदेश की सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों को मथने का विस्तृत प्लान तैयार किया गया है।
इस अभियान का उद्देश्य न केवल अपनी जीत को दोहराना है, बल्कि हारी हुई सीटों पर भी जीत हासिल करने के लिए सूक्ष्म स्तर पर काम करना है।
‘विधानसभा यूनिटी मार्च’ से 403 सीटों पर दस्तक
भाजपा मिशन 2027 की शुरुआत 'विधानसभा यूनिटी मार्च' के माध्यम से करने जा रही है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर यह व्यापक अभियान 10 नवंबर से 20 नवंबर तक चलाया जाएगा।इस पदयात्रा के दौरान हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता लगभग आठ किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे।
इस मार्च का उद्देश्य है सरदार पटेल के राष्ट्रहित में किए गए कार्यों को जनता तक पहुचाकर राष्ट्र प्रेम का भाव जगाना और सभी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर सक्रिय करते हुए उनमें जोश भरना। इन यात्राओं की अगुआई विधायक, सांसद और प्रदेश के प्रभारी मंत्री करेंगे।
हारी और जीती हुई सीटों का माइक्रो-मैनेजमेंट
भाजपा ने 2027 के लिए अपनी चुनावी रणनीति में हारी हुई और जीती हुई सीटों का बारीक विश्लेषण कर उन्हें अलग-अलग श्रेणियों में बांटा है। इस प्लान के तहत 403 विधानसभा सीटों को अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित किया गया है, जिनके लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है।
2022 में हारी हुई सीटों को छह श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें मुस्लिम बहुल सीटें और सहयोगी दलों की हारी हुई सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर विशेष फोकस किया जा रहा है और मुस्लिम मोर्चे के पदाधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
जीती हुई सीटों को भी चार कैटेगरी में बांटा गया है। जिन सीटों पर जीत का अंतर 500 से 1 लाख तक का था, उन्हें भी अलग-अलग रणनीति के तहत कवर किया जा रहा है, ताकि जीत के मार्जिन को बरकरार रखा जा सके।
'जीत की हैट्रिक' के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना
भाजपा का मुख्य लक्ष्य उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में आकर 'जीत की हैट्रिक' बनाना है। इसके लिए पार्टी संगठन स्तर पर व्यापक बदलाव और सक्रियता पर जोर दे रही है।
भाजपा 403 विधानसभाओं में पदयात्रा के माध्यम से पार्टी हर गांव और हर गली तक पहुँचने की कोशिश करेगी। हारी हुई सीटों पर 300 दक्ष कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करने का मास्टर प्लान भी बनाया गया है, जो इन सीटों पर सीधा जनता के बीच जाकर काम करेंगे। पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ अपने समन्वय को भी मजबूत कर रही है ।
विपक्ष का मुकाबला और चुनावी नैरेटिव
भाजपा की यह आक्रामक रणनीति विपक्षी दलों, विशेषकर समाजवादी पार्टी को चुनौती देने के लिए है, जो मिशन 2027 के लिए 'पीडीए' के फॉर्मूले पर काम कर रही है। भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में लड़ाई 80 बनाम 20 (बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक) की होगी।
सामाजिक और राजनीतिक समीकरण
उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से लगभग 300 सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के मतदाताओं को निर्णायक माना जाता है। भाजपा इस समुदाय के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दे रही है। इसके साथ ही, सुभासपा, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल जैसे सहयोगी दलों के साथ मिलकर सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने पर भी पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
