भदोही ने रचा इतिहास: दुनिया की सबसे बड़ी कालीन बनी ‘मेड इन इंडिया’, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

Bhadohi carpet company create history
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कालीन का कुल क्षेत्रफल 12,464.28 वर्ग मीटर है और इसकी लागत लगभग 13 करोड़ 20 लाख भारतीय रुपये (15 लाख अमेरिकी डॉलर) है।

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले ने कालीन उद्योग में एक बड़ा इतिहास रचा है। 12,464 वर्ग मीटर की हैंड टफ्टेड कालीन बनी दुनिया की सबसे बड़ी, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ भारत का नाम।

भदोही: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले ने कालीन उद्योग के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां बनी हैंड टफ्टेड कालीन को आधिकारिक तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी कालीन होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह विशाल कालीन कजाखस्तान की अस्ताना ग्रैंड मस्जिद मे लगी है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली है। भदोही के कालीन निर्माताओं, विशेषकर पाटोदिया कॉन्ट्रैक्ट के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसने वैश्विक स्तर पर भदोही की कारीगरी और हुनर का लोहा मनवाया है।

कालीन की भव्यता और गिनीज रिकॉर्ड

भदोही में निर्मित यह रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कालीन आकार और कीमत दोनों में ही असाधारण है। इसका कुल क्षेत्रफल 12,464.28 वर्ग मीटर है, जो किसी भी हैंड टफ्टेड कालीन द्वारा अब तक बनाया गया सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। यह विशाल कालीन मध्य एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक, कजाखस्तान की अस्ताना ग्रैंड मस्जिद के मुख्य भाग मे बिछी है। इस कालीन का कुल मूल्य 15 लाख अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय रुपयों में लगभग 13 करोड़ 20 लाख रुपये होता है। इस उपलब्धि के लिए पाटोदिया कॉन्ट्रैक्ट कंपनी को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की ओर से रिकॉर्ड होल्डर प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कंपनी ने इस रिकॉर्ड के लिए इसी साल मार्च में आवेदन किया था, जिसके बाद गिनीज की टीम ने सर्वे के उपरांत इसे विश्व रिकॉर्ड के रूप में चुना।

निर्माण की चुनौती-1000 कारीगरों की मेहनत

विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली इस कालीन का निर्माण एक बड़ी चुनौती थी, जिसे भारतीय कारीगरों ने बखूबी निभाया। कंपनी को मध्य एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद के लिए कालीन निर्माण का प्रस्ताव मिला। मस्जिद के आठ पिलर और 12,464.28 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल को देखते हुए, कंपनी ने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया। इस विशाल कालीन के निर्माण में कुल एक हजार कारीगर जुटे, जिन्होंने लगभग छह महीने की अथक मेहनत के बाद इसे तैयार किया। कालीन को 125 अलग-अलग टुकड़ों में तैयार किया गया और फिर इसे कजाखस्तान की मस्जिद में पहुंचाना और बिछाना एक और बड़ी चुनौती थी। इसके लिए भदोही से कुशल कारीगरों की एक टीम कजाखस्तान भेजी गई। भारतीय और कजाखस्तान में मौजूद भारतीय मूल के कारीगरों ने मिलकर 50 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद इस विशाल कालीन को मस्जिद में बिछाने का काम पूरा किया।

कालीन की खासियत और डिज़ाइन

यह कालीन सिर्फ अपने विशाल आकार के कारण ही विशेष नहीं है, बल्कि इसकी कलात्मकता और डिज़ाइन इसे एक नायाब कृति बनाती है। कंपनी के रवि पाटोदिया के अनुसार, इस कालीन के निर्माण में पूरी तरह से सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले ऊन का उपयोग किया गया है। यह डिज़ाइन ईरान के पर्शियन डिज़ाइन से प्रेरित है, जो अपनी जटिलता और सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मस्जिद के मुख्य भाग में आठ पिलर हैं। कालीन को इस तरह से बनाया गया कि इसके डिज़ाइन की बारीकियां मस्जिद के पिलरों के साथ पूरी तरह से मेल खाये, जो कारीगरों की दक्षता का एक अद्भुत नमूना है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों पर भदोही की जीत

यह ऑर्डर हासिल करना भदोही के कारीगरों की विशिष्ट कलाकारी और कंपनी की प्रतिष्ठा को दिखाता है। रवि पाटोदिया ने बताया कि मस्जिद प्रबंधन ने इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए चाइना और अमेरिका जैसे देशों के बड़े कालीन निर्माताओं से भी संपर्क किया था। हालांकि, जब डिजाइन की जटिलता और विशालता को देखा गया, तो इन देशों की कंपनियों ने निर्माण से हाथ खड़ा कर दिया। भदोही के कारीगरों की विशिष्ट कला, गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिष्ठा के कारण ही पाटोदिया कॉन्ट्रैक्ट को यह अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर मिला। कंपनी ने एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था से सर्वे कराने के बाद यह चुनौती स्वीकार की, जिसने भदोही की क्षमता पर मुहर लगाई।

विश्व रिकॉर्ड: 'हैंड नॉटेड' से 'हैंड टफ्टेड' तक

भदोही की इस कालीन ने हैंड टफ्टेड श्रेणी में विश्व रिकॉर्ड बनाया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, इससे पहले सबसे बड़ी कालीन का रिकॉर्ड हैंड नॉटेड (हाथ से बुनी) श्रेणी में था। यह कीर्तिमान 5,630 वर्ग मीटर की कालीन के नाम था, जिसे ईरान कारपेट कंपनी द्वारा संयुक्त अरब अमीरात की शेख जायद ग्रैंड मस्जिद के लिए बनाया गया था और इसे 2007 में मापा गया था। भदोही की 12,464.28 वर्ग मीटर की कालीन ने हैंड टफ्टेड श्रेणी में एक नया मानक स्थापित कर दिया है, क्योंकि इस क्षेत्र में अब तक इतनी बड़ी कालीन का निर्माण नहीं हुआ था। यह उपलब्धि न केवल भदोही के कालीन नगरी के नाम को विश्व मानचित्र पर मजबूत करती है, बल्कि भारतीय शिल्प और कारीगरी को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाती है।

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