54 साल बाद खुला बांके बिहारी का 'तोष खाना': खाली बक्से और मलबा देख भक्तों को निराशा; बैंक लॉकर पर टिकी निगाहें!

खाली बक्से और मलबा देख भक्तों को निराशा; बैंक लॉकर पर टिकी निगाहें!
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गोस्वामी समाज के मुताबिक 1971 में आभूषणों को भारतीय स्टेट बैंक के लॉकर में जमा करवाया गया था।

भक्तों को सोने-चांदी के आभूषण मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कमरे से मुख्य रूप से लकड़ी का एक खाली बक्सा, मलबा और तीन पुराने कलश ही बरामद हुए।

मथुरा: वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर का 54 साल से बंद पड़ा ऐतिहासिक खजाना कक्ष, जिसे 'तोष खाना' कहा जाता है, शनिवार 18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हाई पावर कमेटी की निगरानी में खोला गया। भक्तों और सेवायतों में इस कमरे से सोना-चांदी निकलने की जो उत्सुकता थी, वह निराशा में बदल गई, क्योंकि वीडियोग्राफी के साथ खोले गए इस कक्ष से मुख्य रूप से लकड़ी का एक खाली बक्सा, मलबा और तीन पुराने कलश ही बरामद हुए। इस कार्रवाई से गोस्वामी समाज का वह दावा सही साबित होता दिख रहा है, जिसमें कहा गया था कि ठाकुर जी के अमूल्य आभूषण 1971 में ही सूचीबद्ध कर भूतेश्वर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर में सुरक्षित रख दिए गए थे। कमेटी अब इस कमरे की सामग्री का रिकॉर्ड दर्ज कर आगे की कार्रवाई पर ध्यान देगी, जबकि कई गोस्वामी ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विरोध भी जताया।

54 साल बाद खुला ऐतिहासिक 'तोष खाना'

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का तोष खाना, जिसे 1971 के बाद से नहीं खोला गया था, उसे 54 साल के लंबे इंतजार के बाद 18 अक्टूबर 2025 को खोला गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हाई पावर कमेटी की निगरानी में यह प्रक्रिया दिन में करीब 1 बजे मंत्रोच्चार और दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुई। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और मंदिर के चार गोस्वामी शामिल थे। खजाना कक्ष तक पहुचने के लिए ग्राइंडर का इस्तेमाल कर दरवाज़े को काटा गया। यह प्रक्रिया शाम 4 बजे मंदिर बंद होने से पहले तक चली।

खजाने में क्या मिला? खाली बक्सा, मलबा और कलश

मंदिर का खजाना खुलने पर भक्तों और सेवायतों की उम्मीदें टूट गईं। कमेटी के सदस्यों को निरीक्षण के दौरान कीमती आभूषण या सोने-चांदी के अस्त्रों की जगह सिर्फ लकड़ी का एक खाली बक्सा मिला, जिसमें कुछ छोटे-बड़े ज्वेलरी के खाली डिब्बे रखे थे। इसके अलावा, तीन कलश, चार-पाँच पुराने ताले, एक छोटा चांदी का छत्र 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पुराना पत्र भी बरामद हुआ। मंदिर के अंदर मलबा भी जमा पाया गया। इन वस्तुओं को वीडियोग्राफी के माध्यम से रिकॉर्ड किया गया।

गोस्वामी समाज का दावा सही साबित

तोष खाना में केवल खाली बजा और मलबा पाए जाने से गोस्वामी समाज का वह दावा सही साबित हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 1971 में पिछली बार जब यह कक्ष खोला गया था, तब ठाकुर जी के सभी अमूल्य आभूषणों और संपत्ति को एक सूची बनाकर भूतेश्वर स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के लॉकर में सुरक्षित रूप से जमा करवा दिया गया था। खाली खजाना मिलने के बाद अब हाई पावर कमेटी की अगली कार्रवाई बैंक लॉकर में रखी संपत्ति की जांच पर केंद्रित होगी।

प्रक्रिया पर उठे सवाल और सुरक्षा के इंतजाम

खजाना खोलने की इस पूरी प्रक्रिया पर कुछ सेवायत गोस्वामियों ने विरोध भी जताया। उनका तर्क था कि इस खजाने का गेट नहीं खुलना चाहिए था, क्योंकि यह कुबेर का खजाना है और इसके खुलने से मंदिर की मर्यादा भंग हुई है। वहीं, कुछ ने मीडिया को अंदर प्रवेश न देने और वीडियोग्राफी को सार्वजनिक न करने पर पारदर्शिता की कमी बताते हुए सवाल उठाए। सुरक्षा के लिहाज़ से, लंबे समय से बंद इस कमरे में साप-बिच्छू जैसे जीव-जंतु होने की आशंका को देखते हुए वन विभाग की टीम स्नैक कैचर के साथ मौजूद थी। इस दौरान दो सांप के बच्चे भी मिले, जिसके बाद टीम को सुरक्षित बाहर निकाला गया।


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