भक्ति और परंपरा का संगम: काशी के कोतवाल बाबा लाट भैरव का हुआ विवाह, जयकारों से गूंजी नगरी

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वाराणसी में परंपरा और भक्ति का संगम, बाबा लाट भैरव का भव्य विवाह उत्सव डमरू दल, रथ यात्रा और वैदिक रीति से संपन्न हुआ।

वाराणसी: धर्म और परंपराओं की नगरी काशी में हर साल की तरह इस बार भी बाबा लाट भैरव की भव्य बारात निकली। भव्य रथ पर सवार होकर काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा लाट भैरव जब सड़कों पर निकले तो भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। बाबा के जयकारों से पूरा शहर गूंज उठा। आज शुभ घड़ी में बाबा लाट भैरव का विवाह उनकी पत्नी भैरवी के साथ हुआ।

सूतक काल से पहले हुआ आयोजन

इस साल ग्रहण लगने की वजह से आयोजकों ने विशेष ध्यान रखा। वैदिक ब्राह्मणों के आचार्यत्व में सूतक काल शुरू होने से पहले, दोपहर 12:30 बजे बाबा के रजत मुखौटे को विग्रह पर विराजमान किया गया। विधायक और पूर्व मंत्री नीलकंठ तिवारी ने नारियल फोड़कर बारात शोभायात्रा का शुभारंभ किया।

बैंड-बाजे और डमरू दल के साथ निकली भव्य बारात

बाबा की बारात में हाथी, घोड़े, ऊंट, शहनाई और डीजे के साथ सैकड़ों डमरू वादक भी शामिल थे। ये सभी बारात के आगे-आगे चल रहे थे। भक्तों ने जगह-जगह आरती की थालियां सजाकर बारात का स्वागत किया।

पापों से मुक्ति दिलाते हैं बाबा लाट भैरव

काशीखंड के 100वें अध्याय के श्लोकों के अनुसार, भादो पूर्णिमा के दिन कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और बाबा श्री कपाल भैरव के दर्शन-पूजन से भक्तों को रुद्रपिशाचत्व के भय और प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इस शुभ अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए काशी पहुंचते हैं। बाबा लाट भैरव का यह विवाह उत्सव आस्था, परंपरा और संस्कृति का एक जीवंत उदाहरण है।

सोर्स: हरिभूमि लखनऊ ब्यूरो

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