अयोध्या: राम मंदिर में पहली बार मनाया गया भव्य 'राम विवाह', चल विग्रहों का हुआ दिव्य गठबंधन

राम मंदिर में पहली बार मनाया गया भव्य राम विवाह, चल विग्रहों का हुआ दिव्य गठबंधन
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विवाह पंचमी के उत्सव में शामिल होने के लिए जनकपुर नेपाल से भी भक्तों का एक विशेष दल अयोध्या पहुंचा।

अयोध्या राम मंदिर में पहली बार विवाह पंचमी पर भव्य 'राम विवाह' उत्सव मनाया गया। चल विग्रहों को दूल्हा-दुल्हन के रूप में सजाकर, वैदिक रीति से सात फेरों सहित सभी वैवाहिक रस्में पूरी की गईं।

अयोध्या : अयोध्या में भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर में पहली बार विवाह पंचमी के पावन अवसर पर भगवान श्री राम और माता सीता का विवाहोत्सव अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। मंदिर के गर्भगृह के सामने अस्थायी विवाह मंडप में, चल विग्रहों को दूल्हा और दुल्हन के रूप में सजाकर, वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह की रस्में पूरी की गईं, जिसने पूरे परिसर को एक दिव्य वैवाहिक उत्सव में बदल दिया।

चल विग्रहों को दूल्हा-दुल्हन के रूप में सजाया गया

इस ऐतिहासिक आयोजन का मुख्य आकर्षण भगवान राम और माता सीता के चल विग्रह रहे, जिन्हें विशेष रूप से सजाया गया। रामलला के विग्रह को पारंपरिक मौर (मुकुट) पहनाया गया, जबकि माता सीता के विग्रह को पूर्ण दुल्हन के श्रृंगार से सुसज्जित किया गया।

मंदिर के सभाकक्ष में बनाए गए विवाह मंडप में इन विग्रहों को प्रतिष्ठित किया गया। इस दिव्य युगल के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा, और सभी ने पारंपरिक मंगल गीतों के बीच भगवान के विवाह की खुशी मनाई।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुई वैवाहिक रस्में

विवाहोत्सव की सभी रस्में पूर्णतः वैदिक विधि-विधान और परंपराओं के अनुसार संपन्न हुईं। मंदिर के पुजारियों और व्यवस्थापकों ने मिलकर विवाह की सभी क्रियाएं जैसे - सात फेरे, कन्यादान और अन्य वैवाहिक अनुष्ठान पूर्ण किए।

इस दौरान, एक ओर रामलला के पक्ष को बराती और दूसरी ओर माता सीता के पक्ष को घराती की भूमिका में रखा गया, जिससे उत्सव में पारंपरिक विवाह का माहौल बन गया। पूरा परिसर भजन गायकों और मधुकरिया संतों द्वारा गाए जा रहे विवाह गीतों से गूंज उठा।

जनकपुर के भक्तों ने निभाया दशरथ और बारात का फर्ज

विवाह पंचमी के उत्सव में शामिल होने के लिए जनकपुर नेपाल से भी भक्तों का एक विशेष दल अयोध्या पहुंचा। जनकपुर से आए इन भक्तों ने बारात में शामिल होकर उत्सव को और भी खास बना दिया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बिड़ला धर्मशाला में प्रतीकात्मक रूप से राजा दशरथ की भूमिका निभाई, जहा जनकपुर के दल ने उनका स्वागत किया।

विवाह संपन्न होने के बाद, माता सीता की प्रतीकात्मक विदाई भी की गई, जिसने इस पहले राम विवाह उत्सव को पूर्णता प्रदान की।


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