डिपोर्टेशन की तैयारी: लखनऊ में रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों पर ATS का एक्शन-160 सफाईकर्मी हुए लापता!

लखनऊ में रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों पर ATS का एक्शन-160 सफाईकर्मी हुए लापता!
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पुलिस अब इन फरार कर्मचारियों के मोबाइल लोकेशन, कंपनी रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों के आधार पर उनकी तलाश कर रही हैं।

लखनऊ में केंद्रीय खुफिया इनपुट के बाद ATS ने अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई शुरू की है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक दस्ता ने एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है।

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से पुख्ता इनपुट मिलने के बाद ATS ने न सिर्फ संदिग्धों की तलाश तेज की है, बल्कि नगर निगम के माध्यम से काम कर रहे सफाई कर्मचारियों का डेटा भी तलब किया है।

यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश से घुसपैठियों को बाहर निकालने के सख्त निर्देश के बाद शुरू हुई है। इस जांच अभियान का नतीजा यह रहा कि दस्तावेज़ सत्यापन की आशंका के चलते नगर निगम से जुड़े लगभग 160 आउटसोर्स सफाईकर्मी अचानक काम छोड़कर फरार हो गए हैं, जिससे प्रशासन के संदेह को बल मिला है।

केंद्रीय इनपुट और उच्च-स्तरीय निर्देशों का क्रियान्वयन

ATS की सक्रियता केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से मिले एक गोपनीय इनपुट के बाद बढ़ी है, जिसमें यह बताया गया था कि लखनऊ की झुग्गी-झोपड़ियों और बाहरी इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध तरीके से निवास कर रहे हैं।

ये घुसपैठिए यहां रहकर फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और पासपोर्ट बनवाकर अपनी पहचान छिपा रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी नगरीय निकायों और पुलिस-प्रशासन को सख्त और निर्णायक कार्रवाई करने का आदेश दिया।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही यह स्पष्ट हुआ कि प्रदेश सरकार अवैध प्रवासियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी, जिससे पूरे प्रदेश में एक्शन शुरू हो गया है।

नगर निगम के आउटसोर्स कर्मियों पर संदेह और डेटा तलब

घुसपैठिए मुख्य रूप से मजदूरी, कूड़ा प्रबंधन और सफाई जैसे कार्यों में संलग्न हैं, इसलिए ATS की जांच का केंद्र लखनऊ नगर निगम के आउटसोर्स सफाईकर्मी बने। ATS ने सीधे नगर निगम को पत्र भेजकर कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से काम कर रहे सभी कर्मचारियों का विस्तृत ब्योरा मांगा है।

इस ब्योरे में कर्मचारियों के नाम, पते, पहचान पत्र और पते का पूरा सत्यापन शामिल है।

खुफिया एजेंसियों को शक है कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिक ठेकेदारी प्रथा के तहत सफाई कर्मचारी बनकर शहर की अति संवेदनशील जानकारियों तक पहुंच बना सकते हैं, जो सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।

दस्तावेज़ जांच की मांग पर 160 संदिग्धों का फरार होना

इस अभियान के तहत, जब नगर निगम ने अपने ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से संबंधित दस्तावेज़ और अन्य पहचान पत्र दिखाने को कहा, तो इसका तुरंत चौंकाने वाला असर देखने को मिला।

विभिन्न ज़ोन में काम कर रहे लगभग 160 सफाई कर्मचारी रातोंरात अपनी नौकरी छोड़कर लापता हो गए। ये सभी कर्मचारी आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से शहर की सफाई व्यवस्था से जुड़े हुए थे।

मेयर सुषमा खर्कवाल ने भी इस बात की पुष्टि की है और आशंका जताई है कि ये लोग संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। पुलिस, एलआईयू और ATS अब इन फरार कर्मचारियों के मोबाइल लोकेशन, कंपनी रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों के आधार पर उनकी तलाश कर रही हैं।

अवैध नेटवर्क पर शिकंजा और डिटेंशन सेंटर बनाने की तैयारी

जांच में यह भी सामने आया है कि यह नेटवर्क पिछले कई सालों से सक्रिय है और इसके तहत घुसपैठियों को न सिर्फ फर्जी दस्तावेज़ मुहैया कराए गए, बल्कि उन्हें यहां बसाने में स्थानीय लोगों की भी मदद ली गई।

ATS अब उन गिरोहों की पहचान कर रही है जो इन फर्जी दस्तावेजों को बनाने में मदद करते हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, अवैध प्रवासियों के खिलाफ विदेशी अधिनियम 1946 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, यूपी सरकार ने अवैध प्रवासियों को रखने के लिए राज्य के हर मंडल में डिटेंशन सेंटर बनाने का भी निर्देश दिया है।

पकड़े गए घुसपैठियों को कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक इन सेंटरों में रखा जाएगा, जिसके बाद डिपोर्टेशन की कार्रवाई की जाएगी।

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