'उड़नखटोला' से काशी दर्शन: एशिया का पहला अर्बन रोपवे, कैंट से गोदौलिया का सफर होगा मिनटों में!

Asia first urban transport ropeway project in Varanasi will start in 2026
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यह परिवहन गलियारा 3.8 किमी लंबा होगा जो शहर के दो महत्वपूर्ण बिंदुओं, वाराणसी कैंट स्टेशन से गोदौलिया को जोड़ेगा।

वाराणसी में एशिया का पहला शहरी परिवहन रोपवे प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है। 815.58 करोड़ रुपये की लागत वाली यह 3.8 किलोमीटर लंबी परियोजना वाराणसी कैंट स्टेशन को गोदौलिया से जोड़ेगी।

वाराणसी : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट अब उनके लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में अंतिम चरण में है। वाराणसी में एशिया का पहला शहरी परिवहन रोपवे शुरू होने जा रहा है। 815.58 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही यह महत्वाकांक्षी परियोजना काशी के यातायात और पर्यटन को हमेशा के लिए बदल देगी। यह रोपवे प्रतिदिन लगभग 96 हजार यात्रियों को सेवा देगा। नए साल से इसका संचालन शुरू होने की संभावना है।

गंगा किनारे उड़नखटोले का रूट मैप

यह अत्याधुनिक परिवहन गलियारा 3.8 किलोमीटर लंबा होगा और यह शहर के दो सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं, वाराणसी कैंट स्टेशन से गोदौलिया को जोड़ेगा। इस रूट पर कुल पाँच स्टेशन बनाए जा रहे हैं।

मुख्य स्टेशन: वाराणसी कैंट स्टेशन और गोदौलिया।

मध्यवर्ती पड़ाव: विद्यापीठ और रथयात्रा।

तकनीकी केंद्र: गिरजाघर चौराहे पर एक तकनीकी स्टेशन (टर्मिनल) बनाया जा रहा है। इस पूरे मार्ग पर कुल 29 टावर खड़े किए जा रहे हैं।

क्षमता जो भारत में सबसे बड़ी!

यह रोपवे सिस्टम अपनी क्षमता के मामले में देश में अद्वितीय है। इसकी यात्री क्षमता प्रति घंटा प्रति दिशा 3,000 यात्री है। यह क्षमता भारत के सबसे बड़े गुलमर्ग रोपवे से भी ढाई गुना अधिक है। इस विशाल क्षमता को संभालने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए 150 गोंडोला (यात्री केबिन) लगाए जाएँगे। उच्च क्षमता के कारण, परियोजना में बड़े व्यास की रस्सियों, उच्च शक्ति वाली ड्राइव्स अतिरिक्त प्रणालियों और उन्नत नियंत्रण कक्ष जैसी विश्व स्तरीय तकनीक का उपयोग किया गया है। गोंडोला केबिन वातानुकूलित होंगे।

सुरक्षा की चाक-चौबंद किलेबंदी

इस घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र से गुजरने वाले रोपवे के लिए सुरक्षा के उच्चतम मापदंड अपनाए गए हैं।

चार-स्तरीय प्रमाणन: सुरक्षा के लिए रियायतग्राही, सुरक्षा सलाहकार, स्वतंत्र अभियंता और सरकारी निरीक्षक सहित चार स्तर पर जाँच और सर्टिफिकेशन सुनिश्चित किया गया है।

24x7 निगरानी: एक उन्नत नियंत्रण कक्ष सेंसर के माध्यम से 24 घंटे हर गतिविधि पर नजर रखेगा।

आपातकालीन व्यवस्था: बिजली कटने पर भी गोंडोला रास्ते में नहीं रुकेंगे, बल्कि आंतरिक बिजली आपूर्ति या सहायक मोटर की मदद से स्वचालित रूप से निकटतम स्टेशन तक पहुँच जाएँगे।

प्राकृतिक आपदा से बचाव: तेज हवा या बिजली कड़कने की स्थिति में गोंडोला स्वयं अपनी गति धीमी कर लेगा।

मजबूत नींव: शहरी क्षेत्र और गंगा के मैदानी भाग में होने के कारण, टावरों की ऊँचाई 160 फीट तक रखी गई है, जिसकी नींव 80 फीट गहरी है। स्टेशनों की नींव भी लगभग 100 फीट गहरी बनाई गई है।

सस्ता सफर, आत्मनिर्भर मॉडल

यात्रियों के लिए किराया किफायती रखने के उद्देश्य से एक अनोखा आत्मनिर्भर मॉडल अपनाया गया है।

स्टेशनों का विकास: रोपवे स्टेशनों को केवल एक ट्रांजिट पॉइंट तक सीमित नहीं रखा जाएगा।

राजस्व सृजन: इन्हें बहु-मंजिला व्यावसायिक स्थानों, बजट होटल और कार्यालयों के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए करीब दो लाख वर्ग फीट का निर्माण किया जाएगा।

इस व्यावसायिक गतिविधि से रोपवे को निरंतर राजस्व प्राप्त होगा, जिससे परियोजना आत्मनिर्भर बनेगी और किराए को कम रखने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह मॉडल शहर में रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा।

संचालन और भविष्य की उड़ान

विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने बताया है कि इस परियोजना को इस साल के अंत तक सुरक्षा जांच के बाद नए साल से आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। कार्यदायी एजेंसी के साथ 15 वर्षों तक संचालन का अनुबंध किया गया है। वर्तमान में, अधिकारी भविष्य के नए कॉरिडोर के लिए सर्वेक्षण (सर्वे) और व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करा रहे हैं, जो काशी में शहरी परिवहन के लिए नए आयाम खोलेगी।

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