अमरोहा पटाखा फैक्ट्री धमाका: भीषण विस्फोट में 6 मजदूरों की मौत, जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित

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अमरोहा पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट, 6 मजदूरों की मौत, जांच समिति गठित

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से 6 मजदूरों की मौत, कई घायल। प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की।

Amroha Firecracker Factory Blast : उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में भीषण हादसा हो गया। रजबपुर थाना क्षेत्र के अतरासी गांव में सोमवार (16 जून) सुबह अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 6 मजदूरों की मौत हो गई। कई लोग जख्मी हो गए। आगजनी के बीच यहां घंटों तक धमाके होते रहे। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री की पूरी टीनशेड इमारत ध्वस्त हो गई और इसका मलबा 300 मीटर के दायरे में फैल गया।

पटाखा निर्माण कार्य के दौरान हुए इस धमाके में 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाके के बाद लगातार करीब 15 मिनट तक आग की लपटें उठती रहीं, जिससे चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।

दूर-दूर तक बिखरे मिले मजदूरों के शव
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाका इतना भयावह था कि मजदूरों के शव के टुकड़े दूर-दूर तक बिखरे मिले। घायलों को स्थानीय ग्रामीणों की मदद से तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना की सूचना मिलते ही डीएम निधि गुप्ता, एसपी समेत भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और मलबे में दबे लोगों को निकालने का अभियान शुरू किया गया।

लाइसेंस, सुरक्षा मानकों की होगी जांच
हादसे के बाद गांव में दहशत का माहौल है। पुलिस प्रशासन की टीमें मृतकों की पहचान करने में जुटी हैं। डीएम ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है, जो फैक्ट्री लाइसेंस, सुरक्षा मानकों और कानूनी दस्तावेजों की जांच करेगी।

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
गौरतलब है कि 1 मई को अमरोहा जिले के ही भावली गांव में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ था। उस दौरान एक बच्चा झुलस गया था, जो अपनी मां के साथ वहां मजदूरी करने गया था। बताया गया कि बच्चा खेलते समय फुलझड़ी जलाने लगा, जिससे हादसा हो गया।

अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
प्रारंभिक जांच में पता चला कि फैक्ट्री मालिक हापुड़ का रहने वाला है। गांव वालों ने आरोप लगाया है कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध फैक्ट्री संचालित हो रही थी। इसमें महिलाओं और बच्चों से काम लिया जा रहा था।

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