शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस: लखनऊ अधिवेशन में UCC, वक्फ संशोधन और आरक्षण जैसे 14 बड़े मुद्दों पर होगा आर-पार का मंथन

बैठक में मदीना स्थित 'जन्नत-उल-बकी' में रौजों के पुनर्निर्माण को मांग को भी उठाया गया।
लखनऊ : ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज 26 दिसंबर 2025 को यूपी प्रेस क्लब में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता के माध्यम से देश के सामाजिक और राजनीतिक भविष्य को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है।
बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद साएम मेहंदी और महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने संयुक्त रूप से बताया कि आगामी 28 दिसंबर को लखनऊ के ऐतिहासिक बड़ा इमामबाड़ा में होने वाला वार्षिक अधिवेशन केवल एक बैठक नहीं, बल्कि शिया समुदाय के अधिकारों की प्राप्ति के लिए एक बड़ा मंच साबित होगा।
इस अधिवेशन में मुल्क के मौजूदा हालात और शिया समाज की उपेक्षा पर विस्तृत चर्चा कर सरकार के सामने अपनी मांगें रखी जाएंगी।
संवैधानिक बदलाव और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा पर चर्चा
अधिवेशन के एजेंडे में सबसे प्रमुख मुद्दा देश में लागू होने वाले 'कॉमन सिविल कोड' (UCC) पर विचार करना है। इसके साथ ही बोर्ड ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर अपनी गंभीर चिंताओं को शामिल किया है। वक्फ बोर्डों में व्याप्त भ्रष्टाचार और वक्फ संपत्तियों की अवैध खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए ठोस कानूनी उपायों पर मंथन किया जाएगा।
बोर्ड का मानना है कि सामुदायिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कड़े संशोधनों की आवश्यकता है ताकि वक्फ की रूह को बचाया जा सके।
आरक्षण, प्रतिनिधित्व और आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग
बोर्ड ने देश की लगभग 8 करोड़ शिया आबादी के राजनीतिक और आर्थिक पिछड़ेपन पर सवाल उठाए हैं। प्रेस वार्ता में यह स्पष्ट किया गया कि पार्लियामेंट और विधानसभाओं में शिया समाज का प्रतिनिधित्व न के बराबर है, जिसे सुधारना अनिवार्य है।
बोर्ड की मुख्य मांग है कि सच्चर कमीशन की तर्ज पर शिया मुसलमानों के लिए एक अलग कमीशन गठित किया जाए और सरकारी नौकरियों व योजनाओं में आबादी के अनुपात के आधार पर आरक्षण व हिस्सा सुनिश्चित किया जाए। यह मुद्दा अधिवेशन के दौरान पूरी प्रखरता के साथ उठाया जाएगा।
धार्मिक स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण
शिया समाज ने मदीना स्थित 'जन्नत-उल-बकी' में रौजों के पुनर्निर्माण की अपनी पुरानी मांग को फिर से प्रमुखता दी है। इसके अलावा, देश में हिजाब पर किसी भी तरह की रोक लगाने की कोशिशों पर कड़ा विरोध दर्ज करने और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा पर विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा।
बोर्ड ने यह भी साफ किया कि इस्लाम की सही और असली तस्वीर दुनिया के सामने पेश की जाएगी, जो मोहम्मद साहब और उनकी औलाद की शिक्षाओं पर आधारित है, ताकि कट्टरपंथ और गलत धारणाओं को खत्म किया जा सके।
सामाजिक सुधार, शिक्षा और सुरक्षा के लिए कड़े कदम
अधिवेशन में समाज के भीतर फैली कुरीतियों, विशेषकर शादी-ब्याह और गमी के मौकों पर होने वाले बेजा खर्चों को रोकने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और शिया समाज की शैक्षिक स्थिति को उन्नत करने पर भी विशेष जोर दिया गया है। सुरक्षा के लिहाज से, देशभर में फैलने वाली नफरत, 'हेट स्पीच' और 'मॉब लिंचिंग' जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानूनी उपायों की मांग की जाएगी।
साथ ही, बोर्ड ने आतंकवाद की पुरजोर निंदा करते हुए इसे रोकने के लिए प्रभावी वैश्विक और स्थानीय प्रस्तावों पर चर्चा करने का निर्णय लिया है।
