सियासी शह और मात: बसपा की रैली से पहले आजम-अखिलेश की मुलाकात? यूपी की सियासत में नया मोड़!

Akhilesh Yadav will go Rampur to meet Azam Khan
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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आजम खान से मिलने उनके घर रामपुर जा सकते हैं।

जेल से रिहा हुए आजम खान से मिलने 8 अक्टूबर को रामपुर जाएंगे अखिलेश यादव, बसपा की बड़ी रैली से एक दिन पहले होने वाली इस मुलाकात ने यूपी की सियासत में हलचल मचा दी है।

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के जेल से रिहा होने के बाद उनके भविष्य को लेकर चल रही अटकलों के बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को उनसे मिलने के लिए रामपुर जा सकतें हैं। इस संभावित मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा है, खासकर इसलिए क्योंकि यह बसपा की 9 अक्टूबर को होने वाली कांशीराम पुण्यतिथि रैली से ठीक एक दिन पहले हो रही है। इस मुलाकात को सपा द्वारा आजम खान के साथ संबंधों को मजबूत करने और उनके किसी अन्य दल में जाने की अटकलों पर विराम लगाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

जेल से रिहाई के बाद भी चर्चाओं का बाजार गर्म

आजम खान 23 महीने की लंबी अवधि के बाद हाल ही में जेल से बाहर आए हैं। उनकी रिहाई के बाद से ही उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि, आजम खान और सपा दोनों ने ही इन चर्चाओं को खारिज किया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि यह मुलाकात काफी अहम है। आजम खान को सपा का एक मजबूत स्तंभ माना जाता है, जिन्होंने पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी रिहाई के समय किसी बड़े नेता का न पहुंचना भी कई सवाल खड़े कर रहा था, जिस पर अब अखिलेश यादव उनसे मिलकर विराम लगाना चाहते हैं।

बसपा की रैली से मुलाकात का कनेक्शन

अखिलेश यादव की आजम खान से मुलाकात का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है। बसपा 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में एक बड़ी रैली का आयोजन कर रही है। ऐसे में अखिलेश का 8 अक्टूबर को रामपुर जाना, राजनीतिक रूप से एक सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है। इससे यह संदेश जाएगा कि सपा अपने पुराने नेताओं को महत्व देती है और उन्हें अपने पाले में बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम बसपा को भी एक कड़ा संदेश देगा, जो आजम खान को अपने साथ जोड़ने के प्रयास में थी।

आजम खान ने अफवाहों को किया खारिज

जेल से बाहर आने के बाद, आजम खान ने खुद भी बसपा में जाने की अटकलों को खारिज किया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे 'बिकाऊ माल' नहीं हैं और उन्होंने अपनी वफादारी पहले ही साबित कर दी है।

सपा का डैमेज कंट्रोल

आजम खान के जेल जाने के बाद से ही सपा के लिए यह एक मुश्किल दौर रहा है। उनकी रिहाई के बाद भी उनके अन्य दलों में जाने की चर्चाएं सपा के लिए चिंता का विषय थीं। अखिलेश यादव ने पहले भी यह कहकर इन अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की थी कि सपा की सरकार बनने पर आजम खान पर लगे सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे। अब उनसे सीधे मुलाकात कर, अखिलेश यादव यह साबित करना चाहते हैं कि पार्टी आजम खान के साथ खड़ी है। यह एक तरह से डैमेज कंट्रोल की कोशिश है, जिससे पार्टी की एकजुटता बनी रहे।

अखिलेश यादव की आजम खान से होने वाली यह मुलाकात उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह न सिर्फ सपा के भीतर की एकजुटता को मजबूत करेगी, बल्कि बसपा और अन्य विरोधी दलों को भी एक स्पष्ट संदेश देगी। इस मुलाकात से यह भी तय होगा कि आजम खान भविष्य में सपा के लिए किस तरह की भूमिका निभाते हैं।

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