काशी में 'नमस्ते पुतिन': रूसी राष्ट्रपति के आगमन से पहले वाराणसी में आरती और 'फ्रेंडशिप मार्च'

रूसी राष्ट्रपति के आगमन से पहले वाराणसी में आरती और फ्रेंडशिप मार्च
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लोगों ने ढोल-नगाड़ों और संगीत के बीच 'इंडिया-रूस फ्रेंडशिप मार्च' भी निकाला।

वाराणसी में स्थानीय लोगों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आगामी भारत दौरे से पहले उनकी तस्वीर की आरती और 'मैत्री मार्च' निकालकर भारत-रूस की दोस्ती का अनूठा प्रदर्शन किया।

वाराणसी : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय राजकीय भारत दौरे से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारत-रूस की गहरी दोस्ती का एक अनोखा और भावनात्मक प्रदर्शन देखने को मिला।

स्थानीय लोगों ने न केवल रूसी राष्ट्रपति की फ्रेम की गई तस्वीर की आरती की, बल्कि उनके सम्मान में एक भव्य 'मैत्री मार्च' भी निकाला। दरसल पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली पहुंच रहे हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है।

वाराणसी में पुतिन की तस्वीर की आरती और फ्रेंडशिप मार्च

वाराणसी के स्थानीय लोगों, विशेष रूप से 'विशाल भारत संस्थान' जैसे संगठनों ने, राष्ट्रपति पुतिन के आगमन से पहले शहर में एक उत्साहपूर्ण माहौल तैयार किया। उन्होंने ढोल-नगाड़ों और संगीत के बीच 'इंडिया-रूस फ्रेंडशिप मार्च' निकाला।


इस मार्च में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बड़े-बड़े पोस्टर लहराए गए और "भारत-रूस संबंध जिंदाबाद" तथा "विश्व शांति के लिए मोदी-पुतिन की जोड़ी ज़रूरी" जैसे नारे लगाए गए। आयोजकों ने बताया कि यह कार्यक्रम रूस के प्रति सद्भावना व्यक्त करने के लिए आयोजित किया गया था, क्योंकि रूस ने भारत के महत्वपूर्ण फैसलों में स्पष्ट रूप से समर्थन किया है।

उन्होंने पुतिन की लंबी उम्र और दोनों देशों की दोस्ती मजबूत होने की प्रार्थना की। इस अभूतपूर्व दृश्य का वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया, जहा इसे भारत-रूस के ऐतिहासिक संबंधों की मिसाल बताया गया, वहीं कुछ नेटिज़न्स ने इस तरह के सार्वजनिक प्रदर्शन पर आश्चर्य और हैरानी भी व्यक्त की।



पुतिन का दौरा - 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर 2025 तक भारत के राजकीय दौरे पर हैं। यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 2021 के बाद भारत की उनकी पहली यात्रा है और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भी यह पहली यात्रा है। पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए हैं।

गुरुवार शाम को वह पीएम मोदी के साथ निजी रात्रिभोज करेंगे। शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में उनका औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद वह राजघाट पर श्रद्धांजलि देंगे और हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी के साथ विस्तृत द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके सम्मान में राजकीय भोज भी देंगी। रूसी प्रतिनिधिमंडल में रक्षा, वित्त, कृषि और परिवहन जैसे कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं, जो यह दर्शाता है कि इस दौरे में चर्चा का दायरा काफी व्यापक होगा।

एजेंडा और प्रमुख समझौते

शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" को मजबूत करना और भविष्य की रूपरेखा तैयार करना है। दोनों पक्ष 2030 तक रूसी-भारतीय आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के लिए एक कार्यक्रम पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं।

इसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना है, जो 2024 में $68.7 बिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रक्षा सहयोग एजेंडे के केंद्र में रहेगा, जहा भारत S-400 वायु रक्षा प्रणाली की अतिरिक्त स्क्वाड्रन खरीद पर चर्चा कर सकता है।

इसके अलावा, दोनों देशों की सेनाओं के लिए एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का उपयोग आसान बनाने वाले महत्वपूर्ण Reciprocal Exchange of Logistics Support (RELOS) समझौते को भी रूस की संसद से मंजूरी मिल चुकी है।

दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन (SCO), G20 और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा करेंगे।


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