काम की खबर: यूपी में आधार कार्ड अब जन्म तिथि का मान्य प्रमाण नहीं! योगी सरकार ने जारी किए स्पष्ट निर्देश

UIDAI ने स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है इसे पहचान और पते के प्रमाण के रूप में तैयार किया गया है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के सभी विभागों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है, जिसके तहत आधार कार्ड को अब जन्म तिथि के प्रामाणिक दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सरकार का यह कदम UIDAI और सुप्रीम कोर्ट के उस रुख की पुष्टि करता है, जिसके अनुसार आधार कार्ड मुख्य रूप से पहचान का प्रमाण है, न कि जन्म तिथि का यह आदेश नियोजन विभाग द्वारा जारी किया गया है और इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी योजनाओं और प्रक्रियाओं में जन्मतिथि सत्यापन की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करना है।

सरकारी निर्देश और UIDAI का रुख
राज्य सरकार का यह फैसला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किए गए पत्र पर आधारित है। UIDAI ने अपने में यह स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड जन्म तिथि का अनुमन्य प्रमाण नहीं है इसे मुख्य रूप से पहचान और पते के प्रमाण के रूप में तैयार किया गया है।
यूपी सरकार के नियोजन विभाग ने सभी प्रमुख सचिवों और अपर मुख्य सचिवों को कार्यकारी आदेश जारी कर इस बात पर बल दिया है कि आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रामाणिक दस्तावेज़ के तौर पर स्वीकार न किया जाए क्योंकि कई विभागों में अभी भी इसे इस्तेमाल किया जा रहा था आधार कार्ड के बजाय, जन्मतिथि के प्रमाण के लिए जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, पासपोर्ट या अन्य सरकारी दस्तावेज़ों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का आधार
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों से प्रेरित है जिसने आधार कार्ड को उम्र या जन्मतिथि के निर्णायक प्रमाण के रूप में खारिज कर दिया है सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मामलों में फैसला सुनाते हुए कहा है कि स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जिसे किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) की धारा 94 के तहत वैधानिक मान्यता प्राप्त है वह आयु निर्धारण के लिए आधार कार्ड से अधिक विश्वसनीय दस्तावेज़ है दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सहित कई उच्च न्यायालयों ने भी पहले ही यह रुख अपनाया है कि आधार कार्ड जन्मतिथि का "पुष्ट प्रमाण" नहीं है।
निर्णय का महत्व और उद्देश्य
योगी सरकार का यह निर्देश राज्य के प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और प्रामाणिकता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है यह निर्णय उन त्रुटियों को रोकने के लिए लिया गया है जो आधार कार्ड में दर्ज जन्म तिथियों के कारण हो सकती हैं।
क्योंकि UIDAI ने भी माना है कि आधार में जन्मतिथि दस्तावेज़ों या कुछ मामलों में अनुमान के आधार पर भी दर्ज की जा सकती है इसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं और लाभों के लिए जन्मतिथि सत्यापन हेतु अधिक प्रामाणिक और वैधानिक रूप से मान्य दस्तावेज़ों के उपयोग को अनिवार्य करना है।
