खुशखबरी: 13,597 शिक्षामित्रों की तीसरी किस्त जारी, 60 जिलों के लिए ₹37 करोड़ का आवंटन

यूपी के 13,597 शिक्षामित्रों के लिए योगी सरकार ने 60 जिलों के लिए ₹37 करोड़ के मानदेय की तीसरी किस्त जारी कर दी है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 13,597 शिक्षामित्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने उनके मानदेय की तीसरी किस्त जारी कर दी है। इसके तहत, 60 जिलों के शिक्षामित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए 37 करोड़ 77 लाख रुपये का महत्वपूर्ण आवंटन किया गया है। लंबे समय से मानदेय भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे शिक्षामित्रों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
37.77 करोड़ की तीसरी किस्त जारी
बेसिक शिक्षा निदेशालय के अनुसार, शिक्षामित्रों के मानदेय के लिए कुल 15,108.50 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। इसमें से पहले ही दो किस्तें जारी की जा चुकी थीं। अब यह तीसरी किस्त जारी होने से भुगतान प्रक्रिया में तेजी आएगी। जिलेवार सूची सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेज दी गई है ताकि जल्द से जल्द शिक्षामित्रों के खाते में राशि पहुंच सके।
13,597 शिक्षामित्रों को मिलेगा लाभ
यह आवंटित राशि सीधे-सीधे 13,597 शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान के लिए उपयोग की जाएगी। राज्य के 60 जिलों को इस आवंटन का हिस्सा मिला है, जिससे प्रदेश के एक बड़े हिस्से के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को वित्तीय सहायता मिलेगी। पिछले कुछ महीनों से लगातार मानदेय भुगतान की मांग की जा रही थी, जिस पर सरकार ने यह सकारात्मक फैसला लिया है।
मानदेय वृद्धि की अटकलें और प्रस्ताव
मौजूदा मानदेय ₹10,000 प्रति माह है। हालांकि, लंबे समय से शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग जोर पकड़ रही है। ख़बरों की माने तो सरकार मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें यह राशि ₹17,000 से ₹20,000 तक कर सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के अवसर पर भी सकारात्मक फैसला लेने का आश्वासन दिया था। इस संबंध में एक कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने सरकार को दिया था मानदेय पर फैसला लेने का आदेश
शिक्षामित्रों के मानदेय का मुद्दा उच्च न्यायालय तक भी पहुँच चुका है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार को एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करने के लिए समिति गठित करने का निर्देश दिया था। यहाँ तक कि कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को एक महीने के भीतर मानदेय बढ़ाने के विषय पर निर्णय लेकर हलफनामा दायर करने का आदेश भी दिया था। यह न्यायिक हस्तक्षेप दिखाता है कि शिक्षामित्रों के जीवन-यापन के लिए वर्तमान मानदेय कितना कम है और सरकार पर जल्द फैसला लेने का कितना दबाव है।
