मातम में बदली खुशियां: सेवानिवृत्ति से पहले टूटा जीवन का सफर, विदाई जुलूस की जगह निकली अर्थी

Jalore Bhainswada teacher passed away
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राजस्थान के जालोर में सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले शिक्षिका नाथीदेवी का निधन, जुलूस की जगह घर से निकली अर्थी, गांव में शोक की लहर।

Rajasthan: जालोर जिले में आहोर क्षेत्र के भैंसवाड़ा गांव में गुरुवार को एक शिक्षिका नाथीदेवी के सेवानिवृत्त की खुशियां मातम में बदल गई। परिवार जश्न की तैयारी कर रहा है लेकिन उनके घर से अंतिम यात्रा जुलूस निकला। नाथीदेवी श्रीमाली, जो भागली पुरोहितान स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रबोधक के पद पर कार्यरत थीं, 1 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाली थीं। परिवार ने उनके सम्मान में जुलूस और अल्पाहार का आयोजन भी तय कर लिया था। लेकिन एक दिन पहले ही अचानक बिगड़ी तबीयत ने पूरे परिवार को स्तब्ध कर दिया।

सेवानिवृत्ति की पूर्व संध्या पर टूटा दुखों का पहाड़

मृतका के भाई हनुमान दवे ने जानकारी दी कि नाथीदेवी को मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या थी और उनका इलाज जालोर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। उपचार के बाद तबीयत में सुधार होने पर उन्हें बुधवार शाम को घर लाया गया था। उस रात पूरे परिवार के बीच सेवानिवृत्ति को लेकर बातचीत और तैयारियां चल रही थीं। लेकिन उसी शाम करीब 6 बजे उनकी तबीयत अचानक फिर से बिगड़ गई। परिजन उन्हें पहले गांव के डॉक्टर के पास ले गए और फिर तुरंत जालोर के उसी निजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

सेवानिवृत्ति की जगह हुआ अंतिम संस्कार

गुरुवार सुबह जिस समय उनके सरकारी सेवा से विदाई समारोह की तैयारियां होनी थीं, उसी समय उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई। एक तरफ घर के लोग गाजे-बाजे और समारोह के लिए व्यवस्था में लगे थे, तो दूसरी तरफ उन्हें अंतिम विदाई देने की तैयारी करनी पड़ी। नाथीदेवी के पुत्र गिरीश बोहरा भी शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़े हैं और वर्तमान में सेलड़ी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। परिवार, शिक्षक समुदाय और गांव के लोग इस असामयिक मृत्यु से स्तब्ध हैं।

गांव में शोक की लहर

गांववासियों के अनुसार, नाथीदेवी न केवल एक समर्पित शिक्षिका थीं, बल्कि एक आदर्श महिला के रूप में भी जानी जाती थीं। उनके निधन से पूरा गांव शोक में डूब गया है। जिन्हें एक शिक्षक के रूप में सम्मानपूर्वक विदाई दी जानी थी, उन्हें अंतिम संस्कार की अग्नि में विदा करना पड़ा। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया।

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