SMS अस्पताल में पार्किंग घोटाला: बिना टेंडर के 1 साल तक चालू रही पार्किंग, पूर्व अधीक्षक को नोटिस जारी

जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में सामने आए पार्किंग घोटाले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना टेंडर के करीब एक साल तक चलती रही पार्किंग और उसमें हुई वित्तीय गड़बड़ी की जांच अब तेज हो गई है। इस मामले में बनी जांच कमेटी ने पूर्व अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
कमेटी के चेयरमैन डॉ. दीपक माथुर ने नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने या लिखित में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि डॉ. भाटी के कार्यकाल में SMS की मेन बिल्डिंग, धन्वंतरी ब्लॉक और ट्रॉमा सेंटर की पार्किंग बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के एक व्यक्ति विशेष को संचालित करने के लिए दे दी गई थी। जबकि इसका संचालन सीधे अस्पताल प्रशासन को करना था। इसके लिए नर्सिंग ऑफिसरों और सुरक्षा गार्डों की ड्यूटी भी लगाई गई थी।
निजी खाते में जा रहा था पार्किंग का पैसा
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि पार्किंग में वसूला गया पैसा अस्पताल के खाते में जमा होने की बजाय सीधे संचालक के गूगल-पे, फोन-पे और पेटीएम से उसके निजी खाते में जा रहा था। मौजूदा MOIC ने जब अनियमित वसूली और अवैध पार्किंग की शिकायतों का संज्ञान लिया, तो रिपोर्ट अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी को भेजी। शिकायतें बढ़ने पर पार्किंग संचालक अचानक बिना जानकारी दिए भाग गया।
80 लाख की पार्किंग से सिर्फ 50 लाख की जमा राशि!
सूत्रों के मुताबिक साल 2024 में इस पार्किंग का टेंडर हुआ था, जिससे अस्पताल को 70–80 लाख रुपये का रेवेन्यू मिला था। लेकिन विवाद के बाद ठेकेदार को हटाने के बाद अस्पताल ने जनवरी 2024 से स्वयं पार्किंग संचालन शुरू किया और उसका जिम्मा अनौपचारिक रूप से एक बाहरी व्यक्ति को सौंप दिया।
जनवरी से लेकर नवंबर मध्य तक इस व्यक्ति ने RMRS खाते में केवल 50 लाख रुपये ही जमा करवाए, जबकि अनुमानित आय इससे कहीं ज्यादा होनी चाहिए थी। यही कारण है कि अब जांच कमेटी इस वित्तीय अनियमितता की हर बारीकी की जांच कर रही है। अस्पताल प्रबंधन पर सवालों की बौछार हो रही है कि आखिरकार इतनी बड़ी राशि और बिना टेंडर पार्किंग संचालन को नजरअंदाज कैसे किया गया।
