Rajasthan Congress: क्या राजस्थान में भी कांग्रेस अपनाएगी गुजरात-एमपी मॉडल?, 30 ऑब्जर्वर किए नियुक्त

Rajasthan Congress District President Change
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राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की तैयारी, सभी जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। 30 बाहरी नेताओं को ऑब्जर्वर बनाया गया, हालांकि इसके लिए अंतिम निर्णय राहुल गांधी लेंगे।

Rajasthan Congress: कांग्रेस पार्टी राजस्थान में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश के सभी जिलों में जल्द ही वर्तमान जिलाध्यक्षों को हटाकर नए चेहरों को नियुक्त किया जाएगा। इसके लिए 30 ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं, जो सभी दूसरे प्रदेश के हैं। इस बार प्रदेश के कांग्रेस जिलाध्यक्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में गुजरात और मध्यप्रदेश मॉडल को अपनाया जा रहा है।

30 ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए

बता दें, कांग्रेस आलाकमान ने संगठन सृजन अभियान के तहत 30 वरिष्ठ नेताओं को राजस्थान में जिलाध्यक्ष के लिए ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। खास बात यह है कि इन सभी ऑब्जर्वरों की नियुक्ति अन्य राज्यों से की गई है। कोई भी नेता राजस्थान से नहीं है। ये ऑब्जर्वर प्रदेश के प्रत्येक जिले में जाएंगे और वहां पर संभावित जिलाध्यक्षों का पैनल तैयार करेंगे। पैनल तैयार करने के बाद अंतिम निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिया जाएगा।



राहुल गांधी को भेजा जाएगा पैनल

राहुल गांधी के पास रिपोर्ट भेजने से पहले इन पैनलों पर प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी अपनी राय देंगे। तीनों नेताओं की अनुशंसा और ऑब्जर्वरों की रिपोर्ट के आधार पर फाइनल लिस्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद ही हाईकमान को भेजी जाएगी।

जिस प्रकार से राजस्थान में दूसरे प्रदेश के नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। उसी प्रकार राजस्थान के भी नेताओं को दूसरे प्रदेश में ऑब्जर्वर की भूमिका सौंपी गई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को तेलंगाना में संगठन सृजन अभियान की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह विधायक रीटा चौधरी, कांग्रेस नेता रेहाना रियाज और सीताराम लांबा को छत्तीसगढ़ में ऑब्जर्वर बनाया गया है।

ब्लॉक स्तर तक होंगे नियुक्तियां

कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान केवल जिलाध्यक्षों तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि ब्लॉक अध्यक्षों और अन्य संगठनात्मक पदों पर भी नई नियुक्तियां की जाएंगी। यह कवायद पार्टी को 2028 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

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