पीएम किसान सम्मान निधि योजना: राजस्थान में बड़ा फर्जीवाड़ा, 2.5 लाख संदिग्ध लाभार्थी मिले

PM Kisan Samman Nidhi Rajasthan
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राजस्थान में पीएम किसान सम्मान निधि योजना में 2.5 लाख संदिग्ध लाभार्थी मिले। केंद्रीय कृषि मंत्री ने धोखाधड़ी रोकने व ई-केवाईसी अनिवार्य किया।

PM Kisan Samman Nidhi: राजस्थान में केंद्र सरकार की प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi) में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। 1.2 करोड़ से अधिक पंजीकृत किसानों में लगभग 2.5 लाख संदिग्ध लाभार्थियों की पहचान की गई है। इस घोटाले के कारण सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।

राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर जिलों में सबसे अधिक शिकायतें मिली हैं। जोधपुर में लगभग 45,000, बीकानेर में 38,000 और जैसलमेर में 32,000 संदिग्ध लाभार्थी पाए गए हैं। राज्य कृषि विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच टीमें गठित कर सभी लाभार्थियों का सत्यापन शुरू कर दिया है।

योजना में अब तक की स्थिति

PM किसान योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर वर्ष 6,000 रुपये (तीन किस्तों में 2,000 रुपये प्रति किस्त) की आर्थिक सहायता दी जाती है। देशभर में करीब 9.7 करोड़ किसानों को अब तक 20 किस्तों के माध्यम से कुल 20,500 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री का कड़ा रुख

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में स्पष्ट किया है कि योजना का लाभ केवल वास्तविक किसानों को ही मिलेगा और किसी भी प्रकार की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा है कि योजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी लाभार्थियों का ई-केवाईसी और सत्यापन अनिवार्य किया गया है।

इसके तहत 1 जनवरी 2025 से नए पंजीकरण के लिए फार्मर आईडी (Farmer ID) अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे संदिग्ध नामों की जांच कर उन्हें सूची से हटाएं, आवश्यकतानुसार नोटिस जारी करें और गलत लाभार्थियों से धन वसूली करें।

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

राजस्थान सरकार भी इस दिशा में सक्रिय है और संदिग्ध लाभार्थियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। योजना की 21वीं किस्त दिसंबर 2025 में जारी होने से पहले अक्टूबर तक सभी किसानों का सत्यापन पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल से योजना की विश्वसनीयता बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा और वास्तविक किसानों को ही लाभ मिलेगा।

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