जैसलमेर अग्निकांड में बड़ा अपडेट: बस मालिक और ड्राइवर गिरफ्तार, राज्य सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान

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जैसलमेर बस अग्निकांड में बड़ा अपडेट आया है। पुलिस ने बस मालिक व ड्राइवर को गिरफ्तार किया, राज्य सरकार ने मृतकों को मुआवजा देने की घोषणा की।

Jaisalmer Bus Fire: राजस्थान के जैसलमेर जिले में हाल ही में हुए दर्दनाक बस अग्निकांड के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बस के मालिक और ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है। इस हादसे में अब तक 22 लोगों की जान जा चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हैं। सरकार ने अब इस हादसे की जांच तेज कर दी है। इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी जिम्मेदारों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।

अब तक की जांच में क्या सामने आया?

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि बस की फिटनेस और अग्नि सुरक्षा मानकों को लेकर लापरवाही बरती गई थी। पुलिस के मुताबिक, बस में आग बुझाने के लिए जरूरी उपकरण नहीं थे और वायरिंग में गड़बड़ी की भी आशंका जताई जा रही है। ऐसे में लापरवाही की धारा के तहत ड्राइवर और मालिक के खिलाफ FIR दर्ज कर गिरफ्तारी की गई है। पुलिस के अनुसार, ड्राइवर ने हादसे से पहले ही बस में तकनीकी खराबी की जानकारी मालिक को दी थी, बावजूद इसके बस को चलाया गया। लापरवाही की वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान

बस मालिक: राजेन्द्र चौधरी (जैसलमेर निवासी)

ड्राइवर: अर्जुन सिंह (बाड़मेर निवासी)

इन दोनों को धारा 304A (गैर-इरादतन हत्या), 337 और 338 के तहत गिरफ्तार किया गया है और स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

राज्य सरकार का मुआवजा ऐलान

राजस्थान सरकार ने इस हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजनों को ₹10 लाख और घायलों को ₹1 लाख तक की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। वहीं जिन परिवारों में 3 या उससे अधिक लोगों की जान गई हैं, उन्हें 25-25 लाख रुपए देने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया “यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हादसा है। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” इसके साथ ही प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सड़क परिवहन नियमों की सख्ती से निगरानी की जाए।

यह हादसा एक बार फिर से सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ गया है। यह केवल एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि मानव जीवन से किया गया समझौता है, जिसका जवाब अब कानून देगा।

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