गणेश चतुर्थी विशेष: क्यों विश्वप्रसिद्ध है जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर? जानें महत्व

Moti Dungri Ganesh Temple Jaipur
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जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर अपनी दाहिनी सूंड वाले गणपति की मूर्ति और गणेश चतुर्थी की भव्यता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। जानें इतिहास और खासियत।

Moti Dungri Ganesh Temple Jaipur: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इस मौके पर देशभर के गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

मुकेश अंबानी भी कर चुके हैं दर्शन

मोती डूंगरी गणेश मंदिर की ख्याति इतनी अधिक है कि यहां न सिर्फ आम भक्त, बल्कि देश के बड़े उद्योगपति भी दर्शन करने आते हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी कई बार इस मंदिर में मत्था टेक चुके हैं। माना जाता है कि वे यहां गुप्तदान भी करते हैं, जिसकी रकम करोड़ों में होती है।

क्यों खास है यह मंदिर?

मोती डूंगरी मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर बना है, जो मोती की बूंद जैसी दिखती है। इसी वजह से इसका नाम पड़ा "मोती डूंगरी"। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में सेठ जय राम पालीवाल ने बनवाया था। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

स्थापना की रोचक कथा

किंवदंती है कि मेवाड़ के राजा एक बार गणेश जी की मूर्ति बैलगाड़ी में लेकर जा रहे थे। उन्होंने तय किया था कि जहां बैलगाड़ी रुकेगी, वहीं मंदिर बनाया जाएगा। बैलगाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी और वहीं 1761 में यह भव्य मंदिर बन गया। यहां स्थापित गणेश जी की मूर्ति करीब 500 साल पुरानी मानी जाती है।

मंदिर की विशेषताएं

मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है और इसकी डिजाइन स्कॉटिश महल से प्रेरित है।

यहां भगवान गणेश की दाहिनी सूंड वाली मूर्ति है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है।

हर बुधवार को यहां मेला लगता है और गणेश चतुर्थी पर मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।

भगवान को स्वर्ण मुकुट, नौलखा हार और पंचामृत अभिषेक अर्पित किया जाता है।

खास बात यह है कि यहां भगवान का मेहंदी से पूजन होता है, और यही मेहंदी प्रसाद के रूप में बांटी जाती है। मान्यता है कि शादी में आ रही बाधाएं इस प्रसाद से दूर हो जाती हैं।

विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण

यह मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि पर्यटन का भी बड़ा हब है। यहां रोज़ हजारों श्रद्धालु आते हैं, जिनमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी काफी होती है। मंदिर की भव्यता, लोककथाएं और यहां का उत्सवी माहौल सभी को आकर्षित करता है।

गणेश चतुर्थी की रौनक

गणेश चतुर्थी पर मोती डूंगरी मंदिर का नजारा अद्भुत होता है। भगवान गणेश को स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार पहनाया जाता है। पंचामृत अभिषेक और मेहंदी पूजन होता है। यहां की मेहंदी प्रसाद रूप में दी जाती है और माना जाता है कि यह शादी में आ रही रुकावटों को दूर करती है।

कैसे पहुंचे मोती डूंगरी गणेश मंदिर?

यह मंदिर जयपुर शहर के केंद्र से करीब 6 किमी दूर है।

हवाई यात्रा करने वालों के लिए नजदीकी एयरपोर्ट- जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा।

रेल से आने वालों के लिए नजदीकी स्टेशन- गांधी नगर रेलवे स्टेशन।

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