अंता विधानसभा उपचुनाव: निर्दलीयों की एंट्री से दिलचस्प हुआ मुकाबला, BJP-कांग्रेस की रणनीति पर असर

Anta Assembly By-Election: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। खास बात यह है कि अब यहां का मुकाबला त्रिकोणीय नहीं बल्कि बहुकोणीय हो गया है। नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन कई चौंकाने वाले घटनाक्रम सामने आए, जिससे यह उपचुनाव अप्रत्याशित रूप से रोचक हो गया है। यहां पढ़ें पूरा समीकरण।
रामपाल मेघवाल की एंट्री ने बदला खेल
नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन भाजपा के पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर सभी राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी। बता दें, रामपाल 2013 में अटरू विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीत चुके हैं और संगठन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। हालांकि, इस बार टिकट न मिलने से नाराज होकर उन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला लिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रामपाल मेघवाल के मैदान में उतरने से भाजपा और कांग्रेस दोनों के वोट बैंक पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर दलित और ग्रामीण वोटरों के बीच। अब देखना यह होगा कि रामपाल अपनी नैया को पार लगा पाएंगे या किसी का खेल बिगाड़ेंगे। हालांकि यह तो परिणाम ही तय करेगा।
BJP का भरोसा मोरपाल सुमन पर
भाजपा ने इस उपचुनाव में मोरपाल सुमन को प्रत्याशी बनाया है, जो वर्तमान में पंचायत समिति के प्रधान हैं और क्षेत्र में मजबूत जमीनी पकड़ रखते हैं। पार्टी ने संगठन के प्रति उनकी निष्ठा और कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल को देखते हुए उन्हें टिकट दिया है। हालांकि, रामपाल मेघवाल जैसे पुराने नेता की बगावत से भाजपा को अंदरूनी नुकसान हो सकता है। पार्टी का शीर्ष नेतृव्य अब एकजुटता बनाए रखने के प्रयास में जुट गया है।
कांग्रेस का दांव प्रमोद जैन भाया पर
वहीं कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया पर दांव लगाया है। भाया अंता से पूर्व में भी विधायक रह चुके हैं और क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं। कांग्रेस इस चुनाव को सत्ता में अपनी वापसी की राह के रूप में देख रही है। प्रमोद जैन भाया ने अपनी पत्नी उर्मिला जैन का भी वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। ताकि किसी प्रकार की समस्या न हो।
SDM विवाद से चर्चा में रहने वाले नरेश मीणा भी मैदान में
इस चुनाव में नरेश मीणा भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं, जो कुछ समय पहले SDM से बहस के चलते सुर्खियों में आए थे। वे युवा मतदाताओं के बीच अपनी पहचान बना रहे हैं और स्थानीय मुद्दों पर मुखर रहते हैं। मीणा विधानसभा का चुनाव भी लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
क्यों खास है अंता सीट का उपचुनाव?
अंता विधानसभा सीट पर यह उपचुनाव कई मायनों में अहम है। एक तरफ भाजपा को अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस अपनी साख वापस पाने की कोशिश में है। रामपाल मेघवाल जैसे बागी नेता और निर्दलीय प्रत्याशियों के उतरने से दोनों बड़ी पार्टियों की कोर वोट बैंक में सेंध की आशंका बढ़ गई है। इस बार मुकाबला न सिर्फ प्रत्याशियों के बीच है, बल्कि यह स्थानीय समीकरणों, जातीय गणित, और दलगत नाराजगियों के बीच भी खिंच गया है।
चुनावी मुकाबला होगा दिलचस्प
नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब सभी उम्मीदवार प्रचार में जुट गए हैं। राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी जनसमर्थन बटोरने में लगे हैं। स्थानीय मुद्दे जैसे कृषि संकट, पेयजल समस्या, सड़कें और युवाओं के लिए रोजगार इस बार चुनाव का प्रमुख एजेंडा बन सकते हैं।
मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, अंता विधानसभा का मुकाबला और भी रोमांचक होता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जनता का फैसला किस करवट बैठता है। पार्टी की नीतियों पर या उम्मीदवार के व्यक्तिगत प्रभाव पर, यह तो परिणाम ही तय करेगा।
