सम्मान यात्रा: भारतीय सेना को सलामी देने वक्ता मंच ने किया आयोजन, गूंजे देशभक्ति के नारे

भारतीय सेना को सलामी देने के लिए सम्मान यात्रा का आयोजन
रायपुर। देशभक्ति की भावना से भरी राजधानी रायपुर में सोमवार की शाम को एक अद्वितीय दृश्य देखने को मिला, जब अग्रणी सामाजिक संस्था 'वक्ता मंच' ने भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम को नमन करते हुए सम्मान यात्रा का आयोजन किया। युद्ध विराम के स्वागत स्वरूप यह यात्रा राजधानीवासियों को राष्ट्रप्रेम से सराबोर कर गई।
साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों एवं आम नागरिकों की भागीदारी से यह यात्रा गौरवशाली आयोजन में तब्दील हो गई। वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने बताया कि, यह यात्रा भारतीय सैनिकों की बहादुरी को समर्पित थी, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।
भारत माता की जय, आतंकवाद मुर्दाबाद... जैसे कई नारों से गूंजा शहर
यात्रा निगम मुख्यालय व्हाइट हाउस के सामने स्थित चौक पर पहुंचकर समाप्त हुई, जहां मोमबत्तियां जलाकर पहलगाम में आतंकवादी हमलों में मारे गए भारतीय नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। पूरे मार्ग में 'भारत माता की जय', 'हिंदुस्तान जिंदाबाद', 'वंदेमातरम', 'भारतीय सेना जिंदाबाद' और 'आतंकवाद मुर्दाबाद' जैसे नारों से वातावरण गूंजता रहा। आम राहगीर भी इस यात्रा में शामिल होकर सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते नजर आए।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
यात्रा का संचालन वक्ता मंच के संयोजक शुभम साहू ने किया। इसमें शोभा देवी शर्मा, उर्मिला देवी 'उर्मि', विजया श्री स्वामी, शिवानी मैत्रा, प्रमदा ठाकुर, प्रिया सिंह, विभा शर्मा, आशीष शुक्ला, मानसी शर्मा, सी एल दुबे, विनय बोपचे, मीना बोपचे, किरण वैद्य, दुष्यंत साहू, परम कुमार, उमा स्वामी, ज्योति शुक्ला, प्रीती रानी तिवारी, माधुरी शुक्ला, थानेश्वर शर्मा, प्रदीप वैद्य, डॉ भारती अग्रवाल, नीतू अग्रवाल सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

देश के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी
कार्यक्रम के अंत में ग्रीष्म ऋतु में पक्षियों हेतु दाना-पानी रखने के लिए निःशुल्क सकोरा का वितरण भी किया गया। वक्ता मंच द्वारा यह परंपरा हर वर्ष निभाई जाती है, जिसमें शहर के प्रमुख चौराहों पर पक्षियों के लिए सकोरे नि:शुल्क वितरित किए जाते हैं। यह सम्मान यात्रा न केवल सैनिकों के शौर्य को सलामी थी, बल्कि आम नागरिकों को एकजुट होकर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा भी थी।
