बेअंत सिंह हत्याकांड: मुख्य गवाह बलविंद्र सिंह बिट्टू मांगी सुरक्षा, जानिये क्या था पूरा मामला

Beant Singh
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह। फाइल फोटो। 

पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के प्रमुख गवाह बलविंद्र सिंह बिट्टू ने चंडीगढ़ पुलिस से अपनी जान को आतंकियों व कट्टरपंथियों से खतरा बताते हुए अपनी सुरक्षा बहाल करने की मांग की है।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह बलविंद्र सिंह बिट्टू ने चंडीगढ़ पुलिस को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा फिर से बहाल करने की मांग की है। चंडीगढ़ पुलिस महानिदेशक को लिखे पत्र में बलविंद्र सिंह बिट्टू ने कहा कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट भी कई बार उनकी जान के खतरे को मान चुका है। अब भी उनकी जान को आतंकी और कट्टरपंथी संगठनों से खतरा बना हुआ है, इसलिए उनकी सुरक्षा में किसी भी प्रकार की ढील देने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बलविंदर सिंह बिट्टू ने कहा कि फिलहाल वह चंडीगढ़ के सरकारी आवास में रह रहे हैं।

महानिदेशक को लिखे पत्र में यह भी कहा

बलविंद्र सिंह बिट्टू ने चंडीगढ़ पुलिस को लिखे अपने पत्र में कहा कि पंजाब तथा चंडीगढ़ पुलिस के अलावा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी कई बार उनकी जान के खतरे को मान्यता दे चुका है। सीडब्ल्यूपी नंबर 22200/2010 के तहत सुरक्षा समीक्षा समूह (Protection Review Group) के अनुमोदन दिनांक 17 फरवरी 2011 के अनुसार उन्हें पहले यह सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। पांच निजी सुरक्षा अधिकारी (PSOs) तीन चंडीगढ़ व दो पंजाब पुलिस के चौबीसों घंटे सुरक्षा के लिए 14 सुरक्षाकर्मी, मोबाइल सुरक्षा हेतु एस्कॉर्ट पीसीआर मोटरसाइकिल, उनके निवास के बाहर तैनात एक स्थायी पेट्रोलिंग वाहन शामिला था। उनके खतरे को देखते हुए यह सुरक्षा आवश्यक मानी गई थी। विशेष रूप से सीडब्ल्यूपी नंबर 1725/2004 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बिनोद कुमार रॉय और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आदेश दिया था कि “यदि याचिकाकर्ता की सुरक्षा में कोई ढि़लाई या चूक हुई तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा और अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है। उन्होंने अनुरोध किया है कि पहले की तरह पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था, जिसमें 5 पीएसओ (सभी चंडीगढ़ पुलिस से), 14 आवासीय गार्ड, एस्कॉर्ट मोटरसाइकिल व निरंतर पेट्रोलिंग समेत तुरंत बहाल की जाए। उन्होंने यूटी सिक्योरिटी रिव्यू कमेटी उनकी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए नई खतरा समीक्षा (Threat Perception Review) करने की मांग भी की।

आत्मघाती हमला कर 1995 में की थी हत्या

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की इत्या 31 अगस्त 1995 में चंडीगढ़ में एक आत्मघाती बम हमले में हुई थी। जिसकी जिम्मेदारी खालिस्तान समर्थक आतंकवादी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने ली थी। बब्बर खालसा से जुड़े पंजाब पुलिस के जवान दिलावर बब्बर ने मुख्यमंत्री की कार के पास खड़ा होकर खुद को बम से उड़ा लिया था। जिसमें बेअंत सिंह की साथ 16 अन्य लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे। सीबीआई जांच में मानव बम से हत्या की पुष्टि हुई थी तथा विशेष सीबीआई अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना को इसका मुख्य दोषी मानते हुए एक अगस्त 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। 2019 में केंद्र सरकार ने उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदलने का फैसला लिया, परंतु लागू नहीं हुआ। राजोआना की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट कई बार केंद्र सरकार से सवाल कर चुका है। जगतार सिंह हवारा, व शमशेर सिंह भी कानून के शिकंजे में हैं। 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा और फिलहाल उन्हें कोई अंतरिम राहत नहीं दी है।

1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार माना गया था कारण

इंदिरा गांधी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 1984 में अमृतसर के हरमिंदर साहिब स्वर्ण मंदिर परिसर में छुपे खामिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरेवाला व समर्थकों को निकालने के लिए सैन्य अभियान चलाया था। जिसे तब की केंद्र सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया था। जरनैल सिंह भिंडरेवाला ने आनंदपुर प्रस्ताव के समर्थन में सिखों के लिए एक अलग राज्य खालिस्तान बनाने की मांग की थी। 1980 के दशक में अलगाववादी आंदोलन को गति देने के लिए भिंडरेवाला व उसके साथियों ने हथियारों के साथ स्वर्ण मंदिर को अपना गढ़ बना लिया था और वहीं से अपनी गतिविधियों का संचालन करते थे। जिससे पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही थी। स्थिति को नियंत्रित करने के सरकार के निर्णयानुसार सेना ने 3 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर परिसर को घेरा और चार तक चले ऑपरेशन में दोनों तरफ भारी नुकसान हुआ परंतु 6 जून को सेना में स्वर्ण मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया था। ऑपरेशन ब्लू स्टॉर के विरोध में 31 अक्टूबर 1984 में दो सिख बॉडीगार्डों ने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी। ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था, परंतु पंजाब में बेअंत सिंह कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। जिस कारण ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए इंदिरा गांधी के साथ बेअंत सिंह को भी जिम्मेदार माना जा रहा था तथा 31 अगस्त को आत्मघाती हमले में उनकी हत्या कर दी गई।

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